भाजपा जब कागज पर किसी चुनाव का नक्शा खिंचती है तो इस ढंग से पेश करती है कि चुनाव तो चुटकियों में जीत लेगी। हरियाणा में आम आदमी पार्टी की चर्चित एंट्री, जेजेपी-भीम आर्मी के चंद्रशेखर का समझौता, इनेलो और बसपा का गठबंधन, इस तीन चुनावी तस्वीरों के सामने आने पर राजनीतिक पंडित कांग्रेस के लिए इसे फंसा हुआ चुनाव मान रहे थे। लेकिन राहुल गांधी ने अकेले दम पर इस चुनाव का रुख बदल दिया है। राहुल ने फिर से भूपिंदर सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा का हाथ मिलवा दिया है। परेशान भाजपा अब मोदी को हरियाणा में अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में फिर से उतारने जा रही है। लेकिन राहुल ने अपनी पूरी ताकत शुरू से नहीं लगाई, बल्कि जब आधा चुनाव प्रचार हो गया तो वो अपनी रणनीति के जरिये मैदान में आये। उससे पहले इस बात की खूब चर्चा रही कि राहुल हरियाणा क्यों नहीं आ रहे हैं।