मध्यप्रदेश विधानसभा के 2018 के चुनाव में भाजपा ने ' महाराज बनाम शिवराज ' का नारा देकर चुनावी जंग लड़ी थी, अब ' महाराज ' यानि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में हैं तो भाजपा ' महाराज बनाम कमलनाथ ' का नारा उछालने में क्यों संकोच कर रही है।? क्या तीन साल की अग्निपरीक्षा के बावजूद भाजपा ने ' महाराज ' को पार्टी के मापदंडों पर खरा नहीं पाया है ? ये सवाल मध्यप्रदेश में गर्म होता दिखाई दे रहा है। मजे की बात है कि कांग्रेस भी विधानसभा के 2023 के चुनाव में महाराज को नहीं शिवराज को ही अपना प्रतिद्वंदी मान रही है।