कांग्रेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की "चुप्पी" पर सवाल उठाया कि भारत और पाकिस्तान ने लड़ाई रोकने का फैसला सिर्फ तभी किया जब उन्होंने दोनों देशों के साथ व्यापारिक संबंध समाप्त करने की धमकी दी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी का ज़िक्र करते हुए — जो प्रधानमंत्री मोदी के सार्वजनिक संबोधन से ठीक पहले दी गई थी — कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने कहा कि पीएम मोदी के पूरे भाषण के दौरान इस मुद्दे पर उनकी चुप्पी चौंकाने वाली थी। उन्होंने कहा, "सिंदूर के साथ सौदा संभव नहीं।"

सोमवार को ट्रंप ने दावा किया कि अगर भारत और पाकिस्तान लड़ाई जारी रखते, तो उन्होंने दोनों देशों के साथ व्यापार रोक देने की धमकी दी थी। ट्रंप ने कहा, "मैंने कहा, चलो, हम तुम लोगों के साथ बहुत व्यापार करने जा रहे हैं। इसे रोक दो। अगर तुम लोग इसे रोकते हो, तो हम व्यापार करेंगे। अगर नहीं रोका, तो कोई व्यापार नहीं होगा।" ट्रंप ने यह बात सोमवार को पीएम मोदी का भारत में संबोधन शुरू होने से पहले ओवल ऑफिस में रिपोर्टरों से कहा था।

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प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के बाद, कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं, जिनमें पवन खेड़ा और जयराम रमेश शामिल हैं, ने जवाब मांगते हुए पूछा कि क्या भारत ने वास्तव में ट्रंप की धमकियों के आधार पर अमेरिकी मध्यस्थता को स्वीकार किया।

खेड़ा ने सवाल किया, "प्रधानमंत्री मोदी चुप क्यों रहे, और ट्रंप के कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने के प्रयास पर भी क्यों कुछ नहीं कहा?" उन्होंने पहलगाम आतंकवादी हमलों और ऑपरेशन सिंदूर पर संयुक्त संसदीय सत्र की मांग की।

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा, "कांग्रेस शुरू से ही ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन कर रही है... लेकिन पीएम के संबोधन से पहले ट्रंप ने कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोक दिया। पीएम ने इस पर कुछ नहीं कहा। प्रधानमंत्री को कई सवालों के जवाब देने थे, लेकिन वह चुप रहे... हम चाहते हैं कि पीएम सर्वदलीय बैठक बुलाएं... ट्रंप सारे ऐलान क्यों कर रहे हैं?... भारत और अमेरिका के व्यापार और भारत-पाक युद्ध को रोकने का क्या संबंध है?... विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और प्रधानमंत्री — तीनों चुप हैं।"

जयराम रमेश ने कहा- कारगिल युद्ध समाप्त होने के ठीक तीन दिन बाद वाजपेयी सरकार ने 29 जुलाई 1999 को कारगिल पुनरावलोकन समिति (Kargil Review Committee) गठित की थी। इसकी रिपोर्ट 23 फरवरी 2000 को संसद में प्रस्तुत की गई थी, हालांकि इसके कुछ हिस्सों को अब भी गोपनीय रखा गया- और ऐसा होना भी चाहिए। क्या सरकार अब ऑपरेशन सिंदूर पर भी ऐसी कमेटी बनाएगी।

रमेश ने कहा- इस समिति के अध्यक्ष थे भारत के सामरिक मामलों के विशेषज्ञ के. सुब्रमण्यम, जिनके पुत्र वर्तमान में भारत के विदेश मंत्री हैं। क्या मोदी सरकार अब पहलगाम हमले को लेकर, NIA की जांच के बावजूद, इसी तरह का एक स्वतंत्र और व्यापक विश्लेषण एवं आकलन कराएगी?

उन्होंने कहा- वॉशिंगटन डीसी से आए बयानों के बाद, कांग्रेस पार्टी द्वारा बार-बार की गई प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग - जिसे अब कम से कम ढाई महीने बाद होने की संभावना है - जबकि यह मांग अब और भी अधिक जरूरी और तात्कालिक हो गई है।

शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और सासंद संजय राउत ने कहा- तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाई। उन्होंने सरकार पर आतंकवाद व सीमा खतरों के खिलाफ कथित निष्क्रियता का आरोप लगाया। उन्होंने श्रीनगर में हाल की घटनाओं और मिसाइल हमलों का हवाला देते हुए सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाए। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बयान के बाद तो यह और भी जरूरी है।

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा- सरकार को यह बताना चाहिए कि अमेरिकी मध्यस्थता की अनुमति क्यों दी गई। कश्मीर मामलों में तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप पर चिंता जताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री श्री पवार ने बताया कि पाकिस्तान के साथ युद्ध विराम के दौरान शिमला समझौते के सिद्धांतों का उल्लंघन क्यों किया गया।

भाजपा नेता दिलीप घोष (पश्चिम बंगाल) ने कहा कि कुछ लोग युद्धविराम पर सरकार की आलोचना कर रहे थे, लेकिन पीएम ने अपने संबोधन में सब कुछ स्पष्ट कर दिया। उन्होंने इसे आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति का मजबूत बयान बताया।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के लिए भारतीय सेना और पीएम मोदी की नेतृत्व क्षमता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान को चार दिन में युद्धविराम के लिए मजबूर किया।

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (भाजपा) ने ट्वीट कर कहा कि पीएम का संबोधन 140 करोड़ भारतीयों की सामूहिक भावनाओं को व्यक्त करता है और आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को मजबूती से दुनिया के सामने रखता है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने सैन्य, राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक उद्देश्यों को प्राप्त किया। उन्होंने आतंकवाद को युद्ध का कार्य मानने और पीएम मोदी की प्रतिबद्धता की सराहना की।

भाजपा नेता क्या बोले

केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा ने पीएम मोदी के संबोधन की सराहना की और कहा कि यह आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय एकता और शक्ति का प्रतीक बताया।

भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि पीएम ने न केवल राष्ट्र को, बल्कि पूरी दुनिया को संदेश दिया कि भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ समझौता भारत की शर्तों पर है। उन्होंने इसे भारत की कूटनीतिक और सैन्य ताकत का प्रमाण बताया।

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सोशल मीडिया पर चर्चा

सोशल मीडिया पर पीएम के भाषण पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। भाजपा समर्थक पीएम मोदी के भाषण की तारीफ कर रहे हैं लेकिन विरोधी इस भाषण पर निराशा जता रहे हैं। कुछ यूजर्स ने पीएम के संबोधन को पाकिस्तान और आतंकवाद के लिए खुली चेतावनी बताया। एक यूजर ने लिखा कि यह 22 मिनट का संबोधन नहीं, बल्कि हर शब्द में गहरे अर्थ हैं, जो भविष्य में भारत की नीति को स्पष्ट करेंगे। हालांकि अन्य यूजरों ने टिप्पणी की कि पीएम ने अपने भाषण में अमेरिका का जिक्र नहीं किया, जो बेहद जरूरी थी। क्योंकि अमेरिका ने कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण कर दिया है।

पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी के पंजाब प्रभारी मनीष सिसोदिया ने कहा- "जब प्रधानमंत्री ने कल (सोमवार) देश को संबोधित किया, तब पूरे देश की उम्मीद थी कि वे उन सवालों का जवाब देंगे, जो 140 करोड़ लोगों के मन में उमड़ रहे हैं। पहली बार हमारी सशस्त्र सेनाओं ने पीओके और पाकिस्तान के अंदर नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। इस कार्रवाई पर पूरे देश को गर्व हो रहा था। हमारी सेनाएं लगातार पाकिस्तान को करारा जवाब दे रही थीं, लेकिन अचानक युद्धविराम की घोषणा हो गई। इस युद्धविराम पर लोगों के मन में कई सवाल थे और उन्हें उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री उनके जवाब देंगे।"