प्रियंका को जनवरी 2019 में सिर्फ पूर्वी उत्तर प्रदेश का महासचिव बनाया गया और अमेठी, रायबरेली की पूरी कमान सौंपी गई। सितंबर 2020 में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी से बाहर हो गए तो प्रियंका को पूरे उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव नियुक्त किया गया। उस समय वाराणसी से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लिए संभावित चुनौती के रूप में प्रियंका को देखा जाता था, जबकि ज्यादातर लोग उन्हें रायबरेली में सोनिया गांधी के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखते थे। सोनिया गांधी के पूरे चुनाव की जिम्मेदारी प्रियंका पर रहती थी।
भाषण के मामले में प्रियंका को कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेताओं में समझदार माना जाता है। कई विश्लेषक कहते हैं कि राहुल से कहीं बेहतर भाषण प्रियंका के होते हैं। वो अपने भाषण में महिलाओं पर जरूर पूरा फोकस करती हैं। प्रियंका ने एक बार एक रैली में कहा था, “मैं आपकी बहन, आपकी बेटी हूं। मैं आपके मुद्दों को समझने और समाधान खोजने आई हूं।'' 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों से पहले, उन्होंने नारा दिया था- 'लड़की हूं लड़ सकती हूं।' कांग्रेस ने 40 फीसदी टिकट महिला उम्मीदवारों देने की घोषणा की। लेकिन पार्टी सिर्फ दो सीटों पर ही जीत सकी।