loader

टीएमसी की नज़र अब त्रिपुरा में बीजेपी के असंतुष्टों पर, मनाने पहुंचे बीएल संतोष

पश्चिम बंगाल बीजेपी में मुकुल राय के बाद कई विधायकों के वापस टीएमसी में शामिल होने की ख़बरों से परेशान बीजेपी के सामने एक और आफ़त आ गई है। त्रिपुरा में नाराज़ चल रहे बीजेपी के कुछ असंतुष्टों पर टीएमसी की नज़र है और वह उन के बीच पहुंच रही है। पश्चिम बंगाल की ही तरह त्रिपुरा में भी बीजेपी के असंतुष्टों को टीएमसी में लाने का काम मुकुल राय को सौंपा गया है। मुकुल राय पहले भी पूर्वोत्तर में टीएमसी की जड़ें जमाने का काम कर चुके हैं। 

ये मुकुल राय ही थे जो 2016 में त्रिपुरा में कांग्रेस के 6 विधायकों को तोड़कर टीएमसी में लाए थे और बाद में इन्हें बीजेपी में ले गए थे। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद टीएमसी ने एलान किया है कि वह बंगाल के बाहर भी अपना विस्तार करेगी और त्रिपुरा में मुकुल राय की सक्रियता इसे ज़ाहिर भी करती है। 

ताज़ा ख़बरें

बीजेपी नेता पहुंचे अगरतला 

त्रिपुरा बीजेपी में नाराज़ नेताओं पर टीएमसी की नज़र होने की ख़बर से बीजेपी आलाकमान भी हरक़त में आ गया है और उसके राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष और पूर्वोत्तर में बीजेपी के संगठन सचिव अजय जमवाल बुधवार को अगरतला पहुंच गए और राज्य के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों से मुलाक़ात की। 

त्रिपुरा बीजेपी में लंबे वक़्त से पार्टी नेताओं की नाराज़गी की ख़बरें आ रही हैं। मुख्यमंत्री बिप्लब देव से नाराज़ पार्टी के कुछ विधायक इस मुद्दे को लेकर पिछले साल अक्टूबर में दिल्ली आए थे और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और बीएल संतोष से मिले थे।

ख़बरों के मुताबिक़, तब इन विधायकों ने बिप्लब देब को हटाने की मांग की थी। तब ये विधायक बीजेपी नेता सुदीप राय बर्मन की अगुवाई में दिल्ली पहुंचे थे। सुदीप रॉय बर्मन 2016 में कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में गए थे और उसके बाद 2018 में बीजेपी में चले गए थे।

बिप्लब देब से असंतुष्ट नेताओं ने दावा किया था कि उनके पास 60 सदस्यों वाली विधानसभा में 25 विधायकों का समर्थन हासिल है। असंतुष्टों में से ज़्यादातर नेता ऐसे हैं, जो 2018 में पार्टी में शामिल हुए हैं। इनमें से अधिकतर नेता कांग्रेस या तृणमूल कांग्रेस से आए हैं। 

त्रिपुरा में बीजेपी को सरकार बनाने का मौक़ा पहली बार मिला है और पार्टी आलाकमान दो साल बाद होने वाले चुनाव से पहले ऐसे हालात नहीं बनने देना चाहता जिससे अगले चुनाव में मुश्किल पेश आए। 

rebels in Tripura BJP BL santosh in state - Satya Hindi

त्रिपुरा की सत्ता में बीजेपी का इंडिजनस पीपल्स फ्रंट ऑफ़ त्रिपुरा (आईपीएफ़टी) के साथ गठबंधन है और दोनों ने मिलकर विधानसभा चुनाव 2018 में 44 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसमें बीजेपी को 36 और आईपीएफ़टी को 8 सीट मिली थीं। 

हालांकि बीजेपी ने कहा है कि उसके नेता अगले विधानसभा चुनाव से जुड़ी तैयारियों को लेकर राज्य में पहुंचे हैं और टीएमसी अपनी कोशिशों में सफल नहीं होगी क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व ने नाराज चल रहे पार्टी नेताओं के मुद्दों पर उनसे बात की है। 

सब कुछ ठीक है: बीजेपी 

बीजेपी की राज्य इकाई के अध्यक्ष मानिक साहा ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि सब कुछ ठीक है और जो भी कुछ मतभेद हैं उन्हें बातचीत के जरिये सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में आए केंद्रीय नेता बीजेपी के सहयोगी दल आईपीएफ़टी के नेताओं से भी मिलेंगे। 

साहा ने कहा कि ऐसी कोई ख़बर नहीं है कि बीजेपी के विधायक पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। जबकि त्रिपुरा में टीएमसी के प्रदेश अध्यक्ष आशीष लाल सिंह ने दावा किया कि बंगाल में ममता बनर्जी की जीत के बाद पिछले दो हफ़्ते में बीजेपी और सीपीएम से 11,300 लोग टीएमसी में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह ममता बनर्जी पर निर्भर करता है कि वे पार्टी छोड़ चुके इन विधायकों को वापस लेती हैं या नहीं।

राजनीति से और ख़बरें

वाम दलों को उखाड़ फेंका था

त्रिपुरा को लेकर बीजेपी आलाकमान भी बेहद गंभीर है क्योंकि राज्य में 25 साल पुराने वाम दलों के शासन को उखाड़कर 2018 में उसने पहली बार अपनी सरकार बनाई थी। शुरुआत में बीजेपी आलाकमान ने देब के ख़िलाफ़ असंतुष्टों की मुहिम को नज़रअंदाज किया था लेकिन अब यह मामला आगे बढ़ चुका है। 

‘बीजेपी छोड़ने की ख़बरें ग़लत’

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, बीजेपी नेता सुदीप राय बर्मन के खेमे के नेता इसलिए परेशान हैं क्योंकि बीजेपी आलाकमान बिप्लब देब को हटाने से साफ इनकार कर चुका है। इस खेमे के विधायकों का कहना है कि बीएल संतोष ने उनकी बातों को सुनने का भरोसा दिया है और वे बीजेपी में ही हैं। एक अन्य विधायक ने कहा कि उन लोगों के टीएमसी में जाने की ख़बरें बेबुनियाद हैं। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राजनीति से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें