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अडानी पर पवार का यूटर्न, विपक्षी एकता के लिए जेपीसी का समर्थन

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को यूटर्न लेते हुए अब कहा है कि विपक्षी एकता के लिए वो अडानी मुद्दे पर जेपीसी जांच की मांग का न सिर्फ समर्थन करते हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने एबीपी माझा पर शरद पवार के एक इंटरव्यू के हवाले से यह जानकारी दी है। शरद पवार के रुख में यह बदलाव तब आया जब कांग्रेस की वयोवृद्ध नेता सोनिया गांधी ने आज मंगलवार को द हिन्दू में एक लेख लिखकर विपक्षी एकता का नए सिरे आह्वान किया और कहा कि कांग्रेस समान विचारधारा वाले दलों से हाथ मिलाने को तैयार है। इस लेख के सामने आने के बाद शरद पवार ने भी फौरन पलटी मार दी।
विपक्षी एकता को लेकर एक के बाद एक झटके लग रहे थे। संसद के बजट सत्र में अडानी मुद्दे पर विपक्ष में अभूतपूर्व एकता देखी गई थी। विपक्षी दलों ने कई संयुक्त मार्च भी निकाले। आम आदमी पार्टी और टीएमसी भी इन मार्चों में शामिल हुए और विपक्ष के मुद्दे का समर्थन किया। लेकिन हाल ही में महाराष्ट्र के कद्दावर नेता और एनसीपी चीफ शरद पवार ने विपक्षी एकता की हवा निकाल दी।

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शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग द्वारा अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा जांच का विरोध करने से यू-टर्न लेते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि वो विपक्षी एकता के लिए जेपीसी का विरोध नहीं करेंगे। उन्होंने कहा - 

विपक्षी दलों के हमारे मित्र अगर जेपीसी जांच पर जोर देते हैं तो विपक्षी एकता के लिए हम इसका विरोध नहीं करेंगे। हम उनके विचार से सहमत नहीं होंगे, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारा रुख विपक्षी एकता को नुकसान नहीं पहुंचाए इसलिए जेपीसी जांच की मांग का समर्थन करेंगे।


-शरद पवार, एनसीपी चीफ, 11 अप्रैल 2023, सोर्सः एबीपी माझा (मराठी चैनल)

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एनसीपी प्रमुख ने शुक्रवार एनडीटीवी को इंटरव्यू देकर कहा था कि अडानी भी भला कोई मुद्दा है। वो इस मुद्दे पर जेपीसी मांग का समर्थन नहीं करते हैं। इसके बाद विपक्षी दलों में खलबली मचा गई और विपक्षी एकता पर सवाल होने लगे। पवार ने कहा कि अडानी को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। उनका तर्क था कि जेपीसी में जो 21 सदस्य होंगे, वो अधिकांश सरकार के होंगे। सिर्फ 6 सदस्य दूसरे दलों के होंगे। ऐसे में सरकार जेपीसी के जरिए मनचाही रिपोर्ट प्राप्त कर लेगी।  
उन्होंने ताजा इंटरव्यू में कहा कि जेपीसी की ताकत संसद में राजनीतिक दलों की ताकत पर आधारित होगी। क्या इतनी छोटी संख्या प्रभावी भूमिका निभा पाएगी? लेकिन फिर भी, यदि विपक्षी दल जेपीसी जांच पर जोर देते हैं, तो मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी।

विपक्षी एकता को नुकसान पहुंचाने वाले शरद पवार के बयान के बाद सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए एक लेख लिखा, जिसे आज द हिन्दू अखबार ने प्रकाशित किया है। सोनिया ने लिखा है- आने वाले दिन काफी अहम है। कांग्रेस पार्टी समान विचारों वाले दलों के साथ हाथ मिलाकर भारत के संविधान की रक्षा के लिए हर संभव कोशिश करेगी। 

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सोनिया गांधी का यह लेख ऐसे समय पर आया जब आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता के प्रयास किये जा रहे हैं। यूपीए की चेयरपर्सन होने के नाते गठबंधन के किसी भी फैसले पर कोई भी फैसला सोनिया गांधी ही करेंगी। सोनिया के आह्वान के बाद विपक्षी एकता के रास्ते में आई रुकावट दूर होने के संकेत मिलते ही शरद पवार भी समझ गए कि बाकी दल कांग्रेस के नेतृत्व में एकजुट हो जाएंगे और एनसीपी अलग-थलग पड़ जाएगी। हालात को भांपते ही शरद पवार ने पलटी मारने में देर नहीं लगाई।
यहां यह बताना जरूरी है कि शरद पवार ने जब अडानी मुद्दे पर जेपीसी का विरोध किया था तो कांग्रेस की ओर से तीव्र प्रतिक्रिया हुई थी। अलका लांबा ने पवार को लालची तक कहा था। इस पर बीजेपी की ओर से महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और पार्टी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी और शरद पवार का बचाव किया था। अब पवार के यूटर्न पर दोनों क्या कहते हैं, यह देखना है।
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क़मर वहीद नक़वी
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