जयंत चौधरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, रालोद
देखा जाए तो 2017 के मुकाबले बीजेपी ने पश्चिमी यूपी में उतना शानदार प्रदर्शन नहीं कर पाई लेकिन वो सपा-रालोद के मुकाबले सीटें ज्यादा ले गईं। वेस्ट यूपी के 24 जिलों में 126 सीटें हैं। 2017 में बीजेपी की सौ सीटें आईं थीं और इस बार उसकी 85 सीटें आई हैं। उसने पिछले चुनाव के करीब 79 फीसदी मतदाताओं का विश्वास हासिल करने की बजाया इस बार 67 फीसदी मतदाताओं का विश्वास हासिल किया। बहुत साफ है कि वोट शेयर में गिरावट आई है। लेकिन सपा-रालोद गठबंधन अपने लिए सौ फीसदी सीटें जीतने की उम्मीद कर रहा था, जो उनके आकलन में चूक को बताती है। गठबंधन को कुल 41 सीटें मिलीं। इसमें रालोद की सिर्फ 8 सीटें हैं, बाकी सपा की हैं। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में रालोद को महज एक सीट मिली थी।
इन्हीं 8 सीटों में इस बात के संकेत छिपे हैं कि अगर जयंत कुछ और चीजों को दुरुस्त कर लें तो सीटों का आंकड़ा बढ़ सकता है। 2024 के आम चुनाव दूर नहीं हैं। इसीलिए जयंत अब नए सिरे से पार्टी को खड़ा करने जा रहे हैं। अगर वो नए और कर्मठ कार्यकर्ताओं को सामने लाते हैं और जाट मुस्लिम एकता पर नए सिरे से मेहनत करते हैं तो 2024 में काफी कुछ हासिल कर सकते हैं।