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फ़ाइल फ़ोटो।

केंद्रीय मंत्री साथ फ़ोटो पर निहंग प्रमुख बोले- सिंघु से हटने के लिए रुपये की पेशकश थी

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ आई निहंग संप्रदाय के प्रमुख बाबा अमन सिंह की एक तसवीर ने विवाद खड़ा कर दिया है। बाबा अमन सिंह ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने सिंघु में किसानों के प्रदर्शन स्थल से निहंगों के हटने के लिए रुपये की पेशकश की थी। 

यह विवाद ऐसे समय पर हुआ है जब सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल के पास ही एक दलित सिख की हत्या कर दी गई है और उस हत्या की ज़िम्मेदारी निहंगों ने ली है। अमन सिंह ने घटना के बाद अपने बयान में हत्या को जायज ठहराया था। इसी बीच सोमवार को मीडिया में एक तसवीर सामने आई। उस तसवीर में अन्य लोगों के साथ निहंग संप्रदाय के प्रमुख बाबा अमन सिंह और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर दिख रहे थे। दावा किया गया कि वह जुलाई-अगस्त महीने के दौरान एक मुलाक़ात की तसवीर है। उसमें पंजाब के पूर्व पुलिस अधिकारी गुरमीत सिंह पिंकी शामिल थे जिन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था और एक हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। इनके अलावा बीजेपी नेता हरविंदर गरेवाल भी शामिल थे। यह वह समय था जब तोमर किसानों के आंदोलन को ख़त्म कराने के प्रयास में लगे थे और गतिरोध को दूर करने के लिए किसान नेताओं के साथ बैठकें कर रहे थे।

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इस तसवीर के सामने आने के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज़ हो गई। लोगों ने तरह-तरह की आशंकाएँ जताईं। पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने एक बयान में कहा कि निहंग नेताओं में से एक के कृषि मंत्री तोमर के संपर्क में होने के बारे में हालिया खुलासे के मद्देनज़र लिंचिंग की घटना ने अब पूरी तरह से अलग मोड़ ले लिया है।

उन्होंने मंगलवार को ट्वीट कर भी कहा कि तरनतारन के मज़दूर का मारा जाना किसानों के संघर्ष को बदनाम करने की साज़िश है।

इस बीच पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने भी इस तसवीर को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने ट्वीट किया, "किसान आंदोलन के मुद्दे को हल करने के लिए कुछ 'भयावह योजना' तैयार करने के बजाय एक आसान तरीक़ा है। भारत सरकार को मेरी सलाह, अगर मैं दे सकूं तो, 'ब्लैक फार्म लॉ' को वापस ले लें।"

इसी बीच बाबा अमन सिंह का बयान आया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने मंगलवार को आरोप लगाया, 'किसानों के विरोध स्थल को छोड़ने के लिए मुझे 10 लाख रुपये की पेशकश की गई थी; मेरे संगठन को भी एक लाख रुपये की पेशकश की गई थी। लेकिन हमें खरीदा नहीं जा सकता।' उन्होंने कहा कि निहंग संगठन 27 अक्टूबर को फ़ैसला करेंगे कि सिंघु में रहना है या नहीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय ने इस मामले पर सवालों का जवाब नहीं दिया।

रिपोर्ट के अनुसार, बाबा अमन सिंह और कृषि मंत्री के साथ मुलाक़ात वाली तसवीर में दिखने वाले पंजाब के पूर्व पुलिस अधिकारी गुरमीत सिंह पिंकी ने संपर्क किए जाने पर कहा, 'यह सच है कि मैं बाबा अमन को जानता हूँ, और हम अगस्त में मंत्री के घर गए थे। लेकिन यात्रा का उद्देश्य अलग था। मैं किसी निजी काम से गया था। निहंग संप्रदाय के मुखिया कृषि क़ानूनों की बात कर रहे थे। लेकिन मेरे सामने उन्हें पैसे का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया था। मुझे नहीं पता कि उनके और तोमर के बीच क्या हुआ था।'

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बहरहाल, पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा ने कहा है कि 'हाल ही में उपलब्ध फोटोग्राफिक सबूतों के मद्देनज़र, निहंग नेता को यह भी बताना होगा कि वह किस क्षमता में केंद्रीय कृषि मंत्री एनएस तोमर से मिले थे और क्या तीन काले क़ानून के ख़िलाफ़ अभियान की अगुवाई करने वाले किसान संगठनों द्वारा ऐसा करने के लिए उन्हें कहा गया था।'

उन्होंने कहा कि उस जगह के महत्व को देखते हुए, जहाँ निहंग नेता डेरा डाले हुए थे, उन्हें केंद्रीय मंत्री के साथ अपनी बैठकों के बारे में किसान संघों को बताना ज़रूरी था। उन्होंने कहा कि इसने लोगों के मन में संदेह पैदा कर दिया है और इन्हें दूर करने की ज़रूरत है।

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उन्होंने यह भी कहा कि 'हमें यह पता लगाने की ज़रूरत है कि किसने उसे सिंघु सीमा पर भेजा और उसकी यात्रा के लिए किसने भुगतान किया क्योंकि वह अपना भोजन भी नहीं खरीद सकता था।' उन्होंने कहा है कि उन्होंने स्थानीय प्रशासन को यह पता लगाने का निर्देश दिया है कि किस परिस्थिति में व्यक्ति को उसके घर से सिंघु सीमा पर ले जाया गया।

बता दें कि सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल के मुख्य मंच के पास ही 15 अक्टूबर को तरनतारन निवासी लखबीर सिंह का शव मिला था। उसकी बायीं कलाई कटी हुई थी। शव बैरिकेड्स से बंधा हुआ था। 'निहंग' समुदाय के एक सदस्य ने उसी दिन निर्मम हत्या की ज़िम्मेदारी लेते हुए आत्मसमर्पण कर दिया था। बाद में कुछ और निहंगों ने भी आत्मसर्पण किया। आरोपियों ने दावा किया था कि लखबीर सिंह की हत्या इसलिए की गई क्योंकि उसने सिख पवित्र ग्रंथ को 'अपवित्र' किया था और बेअदबी की थी।
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क़मर वहीद नक़वी
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