loader

ड्रग्स केस में अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को अंतरिम जमानत

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सोमवार को शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को अंतरिम जमानत दे दी। इस मामले में हाई कोर्ट का अभी विस्तृत आदेश आना बाक़ी है।

हाईकोर्ट के समक्ष अग्रिम जमानत की मांग करते हुए मजीठिया ने अपने वकीलों के माध्यम से तर्क दिया कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि यह मौजूदा सरकार के प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक है। विधायक एवं पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया इस मामले में लंबे समय से गिरफ्तारी से बचते रहे हैं। वह नारकोटिक्स मामले में आरोपी हैं। 20 दिसंबर को मामला दर्ज होने के बाद से ही वह लापता थे।

ताज़ा ख़बरें

मजीठिया के ख़िलाफ़ 20 दिसंबर को एनडीपीएस अधिनियम 1985 की धारा 25 (किसी अपराध के लिए परिसर आदि का उपयोग करने की अनुमति देना), 27 ए (अवैध यातायात को वित्तपोषित करना और अपराधियों को शरण देना) और धारा 29 (आपराधिक साजिश और अपराध को बढ़ावा देना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। 

एनडीपीएस की धारा 27 के तहत किए गए अपराध गैर-जमानती हैं। मोहाली की एक अदालत ने मजीठिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

हाई कोर्ट में याचिका में मजीठिया की ओर से तर्क दिया गया, 'यह आईने की तरह साफ़ है कि मौजूदा एफ़आईआर याचिकाकर्ता के ख़िलाफ़ आगामी चुनावों पर नज़र रखते हुए दर्ज की गई है। याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार दांव पर हैं।'

मजीठिया के वकीलों ने कहा कि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है, वह मुख्यधारा के नेता रहे हैं और जाँच से जुड़ने के लिए तैयार थे।

बता दें कि पंजाब की राजनीति में बिक्रम सिंह मजीठिया एक विवादित चेहरा रहे हैं। उन पर ड्रग्स के धंधे में लिप्त होने के आरोप विपक्षी दलों की ओर से लगते रहे हैं। नवजोत सिंह सिद्धू इस मामले को लगातार उठाते रहे हैं। उनकी चेतावनी के बाद कांग्रेस सरकार ने हाल ही में उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज करने का आदेश दिया था। 

पंजाब से और ख़बरें
मजीठिया के समर्थक तर्क देते रहे हैं कि चुनाव से पहले यह मुद्दा राजनीतिक कारणों से उठाया गया। उसने कहा है कि कांग्रेस की सरकार राज्य में पिछले पाँच साल से थी लेकिन इसको मुद्दा आख़िर के छह महीनों में क्यों बनाया गया? पिछले महीने यानी दिसंबर में ही मजीठिया के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई। मामला दर्ज होने के लगभग एक पखवाड़े बाद 2 जनवरी को मजीठिया द्वारा स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने की तसवीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं। इसके बाद पंजाब में राजनीतिक तूफ़ान खड़ा हो गया था।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

पंजाब से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें