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अमरिंदर-कांग्रेस में खुली लड़ाई, सुरजेवाला ने संभाला मोर्चा, कैप्टन का ज़ोरदार हमला

अमरिंदर सिंह और कांग्रेस नेतृत्व के बीच चल रही लड़ाई अब इतना विस्तार ले चुकी है कि उसे न तो संभाला जा सकता है न ही कैप्टन के लिए पार्टी में टिके रहने या मान मनौव्वल की कोई गुंजाइश बची है। यह आर-पार की लड़ाई बन चुकी है, जिसमें कोई पक्ष दूसरे के लिए थोड़ी भी जगह छोड़ने को तैयार नहीं है।

इसे इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेस ने यह कहा है कि पार्टी के 79 में से 78 विधायकों ने चिट्ठी लिख कर अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की थी। 

इसके जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि पार्टी को नवजोत सिंह सिद्धू के नाटक व झूठ की आदत पड़ गई है। 

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सुरजेवाला का हमला

कांग्रेस की यह लड़ाई केंद्रीय शीर्ष नेतृत्व के इशारे पर लड़ी जा रही है। यह इससे पता चलता है कि कैप्टन पर नया और सबसे ज़ोरदार हमला पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने शनिवार को बोला।

उन्होंने कहा कि राज्य के 79 में से 78 विधायकों ने केंद्रीय नेतृत्व को खत लिख कर नेतृत्व परिवर्तन की मांग की थी और मुख्यमंत्री बदलने को कहा था। उन्होंने कहा कि यदि इसके बावजूद अमरिंदर को पद से नहीं हटाया जाता तो नेतृत्व पर तानाशाही करने का आरोप लगता। 

कैप्टन का जवाबी हमला

इस पर बिफरे हुए कैप्टन ने कांग्रेस नेतृत्व पर झूठ बोलने और नाटक करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा,

पहले उन्होंने कहा था कि चिट्ठी पर 43 विधायकों ने दस्तख़त किए और अब कह रहे हैं कि 78 विधायकों ने यह चिट्ठी लिखी थी। कल वे कहेंगे कि 117 विधायकों ने खत लिखा था।


अमरिंदर सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री पंजाब

अमरिंदर सिंह ने कहा कि सच तो यह है कि इन 43 विधायकों ने भी कांग्रेस नेतृत्व के कहने पर डर के मारे दस्तख़त किए थे। 
कैप्टन ने ज़ोरदार हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस के नेता आपस में समन्वय कर झूठ बोलें इतना भी नहीं कर सकते, वे एक दूसरे के उलट और परस्पर विरोधी बातें करते हैं।

अमरिंदर का दावा

इतना ही नहीं, अमरिंदर सिंह ने दावा किया उनके नेतृत्व में पंजाब में पार्टी ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने याद दिलाया कि विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत हासिल हुई। उसके बाद चार सीटों  पर हुए उपचुनावों में कांग्रेस को तीन पर जीत मिली। 

कैप्टन ने कहा कि यहां तक कि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल के गढ़ जलालाबाद में भी कांग्रेस ने जीत हासिल की।

पूर्व मुख्यमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि इससे यह साफ होता है कि पंजाब के लोगों ने उनके नेतृत्व में भरोसा नहीं खोया है, जैसाकि कांग्रेस नेतृत्व दावा कर रहा है।

गुरु ग्रंथ साहिब से बेअदबी का मामला

अमरिंदर सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब से बेअदबी करने वालों के खिलाफ़ कार्रवाई नहीं करने के आरोप का भी जम कर जवाब दिया। 

कैप्टन कांग्रेस के आरोपों की धज्जियाँ उड़ाते हुए कहा कि कोटकपुरा और बहबल कलां गोलीबारी कांड से जुड़े वरिष्ठतम पुलिस अधिकारियों आईजीपी प्रमराज उमरनागल और एसएसपी चरणजीत शर्मा को गिरफ़्तार किया गया।

पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि डीजीपी सुमेध सिंह सानी और पूर्व विधायक मंतर सिंह बरार के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाखिल किया गया। 

उन्होंने कहा कि इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू ने बेमतलब का बखेड़ा खड़ा किया और उसका मक़सद सरकार को बदनाम करना था। 

 

सिद्धू ने किया वफ़ादारी का एलान

ऐसे समय जब केंद्रीय नेतृत्व के नजदीक के प्रवक्ता ने कैप्टन पर हमला बोला है, पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के प्रति वफ़ादारी जताई है। 

सिद्धू ने कहा है कि वे चाहें किसी पद पर रहें या न रहें, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का साथ देते रहेंगे।

महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के मौके पर सिद्धू ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, "गांधी जी और शास्त्री जी के सिद्धांतों पर कायम रहूंगा। पद रहें या न रहें, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ खड़ा रहूंगा। सभी नकारात्मक ताक़तें मुझे हराने के पूरा ज़ोर लगा लें, लेकिन पॉज़िटिव एनर्जी का हर कतरा पंजाब, पंजाबियत और हरेक पंजाबी को जीत दिलाता रहेगा।"

सिद्धू और अमरिंदर सिंह के बीच कड़वाहट बढ़ जाने के बाद पार्टी हाई कमान ने कैप्टन को हटाने का फ़ैसला किया, लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर मुहर लगाई।
बता दें कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के पद संभालने के बाद आला पदों पर नियुक्तियों को लेकर उनके कुछ फ़ैसलों से नाराज़ सिद्धू ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।
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क़मर वहीद नक़वी
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