पंजाब में 2027 मार्च में होने वाले विधानसभा चुनावों में अब कम ही समय बचा है, लेकिन आम आदमी सरकार की मुसीबतें लैंड पूलिंग नीति 2025 को ले कर गहराती जा रही है। बीते 31 जुलाई को शहीद उधम सिंह की पुण्यतिथि पर संगरूर जिले के सुनाम में शहीद उधम सिंह के जन्म स्थल पर मुख्यमंत्री भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल एक समारोह में पहुँचे थे जहां किसान वर्ग, जो अधिकतर सिख समुदाय से हैं, बहुत कम संख्या में उपस्थित थे। लैंड पूलिंग नीति 2025 का विरोध पूरे पंजाब में किसान वर्ग कर रहा है। मालवा के क्षेत्र, जहाँ किसान वर्ग ने आम आदमी पार्टी को भारी बहुमत 2022 विधान सभा चुनावों में दिया था, के साथ पूरे पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार के ख़िलाफ़ विरोध की लहर जोर पकड़ रही है। किसान जत्थेबंदियों के साथ अब गांवों और पंचायतों ने भी आम आदमी पार्टी के विधायकों, मंत्रियों को इन क्षेत्रों में घुसने पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान तक कर दिया है। अपने चुनावी वायदे के अनुसार साढ़े तीन साल बीत जाने के बाद भी  पंजाब के लिए नयी कृषि नीति सरकार ला नहीं सकी लेकिन 'सतत शहरी विकास' के लिए लैंड पूलिंग नीति 2025 जरूर ले आयी। पूरे प्रदेश में इसके ख़िलाफ़ कुछ दिन पहले ही ट्रैक्टर मार्च निकाला गया था।

भूमि एक महत्वपूर्ण संसाधन है जिसे सरकार लोक कल्याणकारी उपक्रम के लिए भूमि स्वामी से अधिग्रहण करती है जिसके लिए उचित मुआवजा दिया जाता है। लेकिन पंजाब में इस नयी नीति में भूमि स्वामियों को स्वैच्छिक तौर पर भूमि संग्रहण के लिए प्रेरित किया जा रहा है जिसमें नकद मुआवजा न देकर भविष्य में होने वाले लाभ का आश्वासन है। 
नीति के कुछ प्रावधानों के अस्पष्ट होने और आश्वासन के बिंदुओं को लेकर किसानों, भूमि मालिकों में आशंकाएँ हैं, जिनको दूर करने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस उत्तर कहीं दिखाई नहीं देते। हालाँकि, यह नीति 2013 में अकाली दल की सरकार के समय प्रस्तावित की गई और बनाई गई थी। पिछली सरकारों के समय पहले से अधिग्रहित भूमि के उपयोग के कोई विशेष या क्रांतिकारी परिणाम अभी तक धरातल पर दिखाई नहीं दिए। उपजाऊ भूमि को शहरी आवासीय उपयोग के लिए जाने पर विपक्षी दलों ने भी सख्त आपत्ति जताई है। मुख्यतः कांग्रेस ने इस नीति पर आम आदमी पार्टी को घेर लिया है और पंजाब में छोटे किसान की जमीन लूटकर बड़े डेवेलपर्स को देने की साजिश कहा है।

'लैंड पूलिंग नीति' क्या है?

सताधारी आम आदमी पार्टी की पंजाब में 'लैंड पूलिंग नीति 2025' एक प्रमुख योजना है जिसे सरकार साकार करना चाहती है। पारम्परिक भूमि अधिग्रहण में सरकार भूमि अधिग्रहण के लिए, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 जैसे कानून के अंतर्गत भूमि मालिकों से खरीदती है। लेकिन पंजाब सरकार ने अपनी योजना की पूर्ति के लिए क़ानून को दरकिनार कर समान्तर एक नीति को लागू किया है जिसमें भूमि के डेवेलप होने के बाद लाभ भूमि देने वाले को मिलने की संभावना जताई गई है। 

इस नीति के अनुसार अगर कोई भूमि मालिक अपनी एक एकड़ जमीन देता है तो उसको योजना के पूरा डेवेलप होने पर 1000 गज का रिहायशी और 200 गज का व्यावसायिक प्लॉट मिलेगा। 9 एकड़ वाले को 3 एकड़ विकसित भूमि दी जाएगी जो समूह आवासीय परियोजनाओं के लिए उपयुक्त कही जा रही है। 50 एकड़ वाले को 30 एकड़ विकसित भूमि वापस मिलेगी। योजना के पूरा होने की कोई समय सीमा तय अभी नहीं की गयी है।

पंजाब ने प्रथम चरण में प्रदेश के 164 गांवों की 65533 एकड़ भूमि को लैंड पूलिंग में शामिल करने के लिए चिन्हित किया है और इसके लिए राज्य स्तर पर अधिसूचना जारी कर दी है।

लुधियाना: 32 गांवों का विरोध-प्रदर्शन

लुधियाना के आसपास के 44 गांवों की लगभग 54000 एकड़ जमीन चिन्हित की गयी है। आसपास के 32 गांवों के लोगों ने लुधियाना में ग्रेटर एरिया लुधियाना डेवलपमेंट अथॉरिटी के कार्यालय के गेट के बहार प्रदर्शन शुरू कर दिया है। पंजाब सरकार केवल लुधियाना क्षेत्र से ही 45861  एकड़ भूमि को शहरी आवासीय योजनाओं और इंडस्ट्रियल हब के लिए लैंड पूलिंग नीति के तहत 'भूमि संग्रहण' में लेना चाहती है। लैंड पूलिंग नीति का लुधियाना केंद्र बन गया है। हाल ही में लुधियाना पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव हुए थे जिसमें आम आदमी पार्टी के उमीदवार पंजाब के बड़े डेवेलपर संजीव अरोड़ा ने जीत हासिल की थी। पंजाब के मुख्य शहरों मोहाली, पटियाला, संगरूर, बठिंडा, लुधियाना, जालंधर, अमृतसर आदि शहरों को इस नीति में शामिल किया गया है। 27 शहरों में यह नीति लागू की जाएगी। 

पिछले वर्ष हुए किसान आंदोलन को कुचलने के जख्म किसान वर्ग के अभी भरे भी नहीं थे कि यह नयी नीति आम आदमी पार्टी सरकार ने लागू कर दी। अब पूरे प्रदेश में किसान सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। आम आदमी पार्टी शहरी कस्बाई वर्ग को अपने पक्ष में करने के उद्देश्य को किसान आंदोलन के दौरान ही स्पष्ट कर चुकी है जब कहा गया था कि किसानों द्वारा पंजाब की सीमाओं को बंद करने से प्रदेश के व्यापार में कितना नुकसान हो रहा है। 

भगवंत मान ने किसानों को चेतवानी देते हुए कहा था कि रोज रोज जगह जगह किसानों द्वारा धरने लगाने से आम लोगों को जो असुविधा होती है उसको अब प्रदेश में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। हरियाणा विधान सभा चुनावों में भाजपा का भारी विरोध किसान वर्ग में था, लेकिन फिर भी अन्य कामगार और शहरी मतदाता के ध्रुवीकरण से भाजपा चुनावों में सफलता पाने में कामयाब हो गई। राजनीतिक तौर पर आम आदमी पार्टी ने हरियाणा के परिणामों से प्रेरणा लेकर पंजाब में अपने जनाधार का अपना लक्ष्य बदल कर शहरी और हिन्दू मतदाताओं पर केन्द्रित कर दिया लगता है।

लैंड पूलिंग पॉलिसी का विरोध

किसान संतुष्ट नहीं

किसान इस नीति को अपने जीवन यापन के साधन, अपनी पहचान और समाजिक विस्थापन के बड़े खतरे के रूप में समझ रहे हैं। सरकार के आश्वासन के बावजूद किसानों का कहना है कि जमीन उनके जीवन सुरक्षा से जुड़ा मामला है। घर गांव में  महिलाएं पशुधन से एक आय अर्जित करती है। अगर विस्थापन हो गया तो उनके जीवनयापन का संकट खड़ा हो जायेगा, क्योंकि स्थाई रोजगार की व्यवस्था अभी इस नीति में नहीं है। कृषि विशेषज्ञों द्वारा यह आंकड़ा दिया जा रहा है कि अगर 40000 एकड़ उपजाऊ भूमि को आवासीय योजना में परिवर्तित कर दिया गया तो प्रदेश में 1.5 लाख टन धान की फसल के उत्पादन की हानि होगी।

विपक्षी नेता क्या बोले?

इस नीति पर पंजाब के भाजपा के अध्यक्ष सुनील जाखड़ का कहना है कि यह एक 'पोंजी स्कीम' है जिसका उद्देश्य भोले भाले किसानों को लुभावने सपने दिखा कर उनकी जमीन लूटना है। जिससे लोकलुभावनी अन्य योजनाएँ, जो आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा चुनावों में घोषित की गई थी, उनको फंड करना है। शिरोमणि अकाली दल भी अब इस नीति की आलोचना करने में लगा है। 

अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल का कहना है कि यह लैंड ग्रैबिंग स्कीम है और इसके जरिये 10000 करोड़ के किकबैक अर्जित करके बड़े डेवेलपर्स को लाभ पहुँचाना है। कांग्रेस पार्टी के सुखजिंदर सिंह रंधावा, परगट सिंह, सुखपाल सिंह खैरा, प्रताप सिंह बाजवा पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेशाध्यक्ष राजा वडिंग किसानों के विरोध प्रदर्शनों में पहुँच चुके हैं और इस नीति को वापस लेने के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार को लगातार घेर रहे हैं।
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इस नीति से पंजाब की सरकार अब 20000 -25000 करोड़ रुपए उगाहना चाहती है ताकि आनेवाले विधानसभा से पहले अपने 2022 में किये गए मुख्य चुनावी वायदे को पूरा कर सके। दिल्ली में विधानसभा चुनाव में हारने के बाद पंजाब आम आदमी पार्टी के लिए अपने अस्तित्व का सवाल भी है। केजरीवाल की महत्वकांक्षा एक प्रदेश में सरकार बना लेने से कहीं बड़ी है। लेकिन जिस तरह से पंजाब सरकार की अन्य नीतियों में कोई विशेष उपलब्धि अभी तक हासिल नहीं हुई, इस नीति के सकारात्मक परिणाम आने में भी संशय बना हुआ है। पंजाब में आम आदमी पार्टी ने एक और परिवर्तन अपनी रणनीति में किया है। प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर अमन अरोड़ा के रूप में हिन्दू चेहरा को लाकर सिख चेहरे भगवंत सिंह मान से बदल दिया है। आने वाले कुछ महीनों में पंजाब की सियासत की दिशा तय होना शुरू हो जाएगी।