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प्रतीकात्मक और फाइल फोटो

राजस्थान में कई सीटों पर कांग्रेस भाजपा को दे रही है कड़ी टक्कर

राजस्थान में दूसरे चरण का चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है। पहले चरण की 12 सीटों पर हुई वोटिंग के बाद जिस तरह का खबरें आ रही हैं उससे बीजेपी खेमे में घबराहट बढ़ गयी है।  यहां तक कि फलोदी का सटटा बाजार भी कांग्रेस को चार से पांच सीटें देने लगा है।  
यूं तो दूसरे चरण की 13 सीटों में से ज्यादातर में बीजेपी आरामदायक स्थिति में है लेकिन पहले चरण से खिलाफ बन रहे माहौल की आशंका का असर दूसरे चरण में हो सकता है। एक बात शीशे की तरह साफ है कि लगातार तीसरी बार बीजेपी को पूरी पच्चीस सीटें नहीं मिल रही है।
कांग्रेस का खाता हर हाल में खुल रहा है। यहां तक कि गठबंधन के उसके तीन साथियों का भी खाता खुलता दिखाई दे रहा है।  
दूसरे चरण की 13 सीटों की बात करे तो सबसे हॉट सीट बाड़मेर जैसलमेर की है। यहां से बीजेपी के कैलाश चौधरी फिर से किस्मत आजमा रहे हैं। वह मोदी सरकार में कृषि राज्य मंत्री भी हैं। दिलचस्प बात है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में वह हार गये थे और लोकसभा का टिकट मिला तो जीत गये थे। 
पहली बार लोकसभा पहुंचने के बाद भी जाट वोट बैंक साधने के चक्कर में पीएम मोदी ने उन्हें मंत्री भी बना दिया। लेकिन इस बार यही जाट वोटर गले की घंटी बन गया है। कांग्रेस की तरफ से उम्मेदा राम बेनीवाल मैदान में हैं जो कभी दिल्ली पुलिस में हुआ करते थे। 
बीजेपी का खेल निर्दलीय रवीन्द्र सिंह भाटी भी बिगाड़ रहे हैं जो सोशल मीडिया के चहेते बने हुए हैं। साफ है कि तीन लाख राजपूतों का वोट अगर भाटी के खाते में गया तो कैलाश चौधरी तीसरे नंबर पर भी खिसक सकते हैं।  
मुकाबला भाटी और उम्मेदा राम के बीच है। यहां बड़ा सवाल यह है कि भाटी क्या उम्मेदा राम की जीत पक्की कराएंगे या खुद जीतेंगे। दोनों ही सूरत में सीट बीजेपी से खिसकती नजर आ रही है। 

इस सीट से सटी जोधपुर सीट से मोदी सरकार के जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत खड़े हैं और जोधपुर में दो दिन में एक बार पानी आने से जनता परेशान है। कांग्रेस ने भी राजपूत करण सिंह उचियारड़ा को टिकट दे कर शेखावत को फंसाने की कोशिश की है। 

पिछले कुछ दिनों में मुकाबला जबरदस्त टक्कर का बना है लेकिन करण सिंह को फिनिशिंग एंड का इंतजार है अगर अशोक गहलोत बचे हुए दो दिन पूरा समय जोधपुर को दें को शेखावत को पसीना लाया जा सकता है। 

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तो शेखावत का दिल्ली जाना आसान हो सकता है

अगर युवा जाट वोटर के हीरो हनुमान बेनीवाल भी जोधपुर के लिए समय निकालें तो कहानी पलट भी सकती है  ऐसा नहीं हुआ तो शेखावत का दिल्ली जाना आसान हो सकता है।  

लेकिन गहलोत समय दे तो कहां से दे। वह तो सिरोही जालौर सीट में फंसे हुए हैं जहां से बेटे वैभव गहलोत चुनाव लड़ रहे हैं। मुकाबला बीजेपी के लुंबा राम से है जो संघ निष्ठ हैं , किसान है और साफ छवि के हैं। वहां आदिवासी वोट लाख से उपर है। अगर भारतीय आदिवासी पार्टी ( बाप ) से समझौता हो जाता तो वैभव को फायदा हो सकता था लेकिन ऐसा हो नहीं सका। 
बसपा समेत कुछ अन्य उम्मीदवारों का नामांकन वापस करवा कर अशोक गहलोत ने राह के कांटे दूर किए जरुर हैं लेकिन संघ के नेटवर्क का मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं। तीन लाख के आसपास दलित वोटर पर गहलोत की उम्मीदें टिकी हैं। फिलहाल तो पलड़ा बीजेपी का ही भारी नजर आता है। 
लेकिन टोंक सवाई माधोपुर सीट में कांग्रेस जबरदस्त मुकाबले में है। पूर्व डीजीपी हरीश मीणा को सचिन पायलट ने टिकट दिलवाया है। सचिन खुद टोंक  विधानसभा सीट से जीते थे। प्रचार के हिसाब से भले ही बीजेपी के दो बार के सांसद गुर्जर सुखबीर सिंह जौनपुरिया भारी पड़ रहे हों लेकिन उनका विरोध भी हो रहा है। उनका कथित रुप से रूखा व्यवहार भी आड़े आ रहा है।
कांग्रेस की दिक्कत यही है कि यहां का गुर्जर मीणा को वोट देने से बिदकता है। सचिन कोशिश कर रहे हैं कि मीणा गुर्जर और जाट का वोट बैंक बन जाए।  कहा जा रहा है कि अगर बीस फीसद भी गुर्जर वोट हरीश मीणा को दिलवाने में कामयाब रहे तो बाजी पलट सकती है।फिलहाल कांग्रेस को भी बढ़त पर बताया जा रहा है। 
हाड़ौती की बारां झालावाड़ सीट पर वसुंधरा राजे अपने बेटे दुष्यंत सिंह को पांचवी बार संसद भेजने के मिशन पर लगी हैं। कहा जा रहा है कि ऐसा हुआ तो वह मोदी सरकार में मंत्री तक बनाए जा सकते हैं। लेकिन वसुंधरा राजे पहली बार राजस्थान के दौरे पर नहीं निकली है।  कुछ का कहना है कि आलाकमान ने घर बैठा दिया है तो कुछ का कहना है कि राजे खुद से घर बैठी है। 

उन्हें लग रहा है कि अगर कांग्रेस पांच छह सीटें जीतने में कामयाब रही तो मुख्यमंत्री भजनलाल का पत्ता कट सकता है। बगल की सीट पर स्पीकर ओम बिरला है। मुकाबला बीजेपी से कांग्रेस में आए उनके धुर विरोधी प्रहलाद गुंजल से है। ओम बिरला की आसान जीत मानी जा रही थी लेकिन अब कुछ का कहना है कि कोटा बूंदी सीट फंस गयी है। 

ओम बिरला को भी बड़े नेताओं के दौरे करवाने पड़ रहे हैं। वह कोटा तक सिमट कर रह गये हैं। लेकिन बड़ा सहारा शांति धारीवाल का मिलने की खबरें आ रही हैं।  कांग्रेस नेता शांति धारीवाल ने इन्हीं प्रहलाद गुंजल को विधानसभा चुनाव में महज दो हजार वोट से हराया था। अब धारीवाल ने वैश्य समाज के वोटर को इशारा किया तो ओम बिरला सीट निकालने में कामयाब हो जाएंगे और कोटा में ओम शांति का नारा फिर बुलंद होगा।  
मेवाड़ की पांच सीटों में से तीन साफ साफ बीजेपी के खाते में जाती नजर आ रही हैं।  राजसमंद , भीलवाड़ा और उदयपुर।  रोमांचक मुकाबला बांसवाड़ा डूंगरपुर सीट पर है।  बीजेपी ने कांग्रेस से आए महेन्द्र जीत सिंह मालवीय को टिकट दिया है जो अकेले उम्मीदवार हैं जो उड़न खटोला लेकर घूम रहे हैं। 

मुकाबला बाप के राजकुमार रोत से हैं जो उड़न खटोला जमीन पर लाने की क्षमता रखते हैं। कांग्रेस ने रोत के समर्थन में अपने प्रत्याशी अरविंद डामोर का नामांकन वापस करवाया था लेकिन वह डटे हुए हैं और कांग्रेस से निकाले जा चुके हैं लेकिन कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ रहे हैं। 

डामोर को कांग्रेस वोटर जितने कम वोट देगा रोत की जीत की संभावना उतनी ही बढ़ेगी। मालवीय का विरोध करने वाले बीजेपी कार्यकर्ता भी मालवीय को पचा नहीं पा रहे हैं। ऐसे में पलड़ा कांग्रेस गठबंधन का भारी लग रहा है। 
मेवाड़ की चित्तौड़गढ़ सीट से बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी मुश्किल मुकाबले में फंसे है। बाहर प्रचार के लिए नहीं निकल पा रहे हैं। चंद्रभान आक्या को सीपी जोशी ने विधानसभा का टिकट नहीं दिया था और वह निर्दलीय जीत गये थे। हालांकि उसके बाद दोनों में समझौता मुख्यमंत्री भजनलाल ने करवाया लेकिन बात शायद पूरी तरह से बनी नहीं है। इसके बावजूद सीपी जोशी का पलड़ा भारी बताया जा रहा है। कुल मिलाकर 13 में से बीजेपी 10 सीटों पर मजबूत मानी जा रही है और बाकी तीन पर कांग्रेस कड़ी टक्कर दे रही है। 
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विजय विद्रोही
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