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प्रतीकात्मक और फाइल फोटो

राजस्थान चुनाव में रसोई गैस सिलेंडर कैसे बन गया बड़ा चुनावी मुद्दा ?  

राजस्थान विधानसभा चुनाव में इन दिनों रसोई गैस सिलेंडर बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है। मतदाताओं को लुभाने के लिए भाजपा और कांग्रेस में प्रतिस्पर्द्धा लगी है कि कौन इसे ज्यादा सस्ता दे सकता है। 
पांच दिन पहले भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में 450 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देने का वादा किया था। इसके जवाब में सोमवार को कांग्रेस ने मात्र 400 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देने का वादा किया है।  
दोनों ही पार्टियां मान चुकी हैं कि सस्ता रसोई गैस सिलेंडर देने का वादा कर वह अधिक से अधिक वोट पा सकती हैं। 
राजस्थान सरकार पहले से ही 500 रुपये में गैस सिलेंडर दे रही थी। इसकी काट के तौर पर ही भाजपा ने 450 रुपये में यह देने का वादा किया था।
 ऐसा कर भाजपा सोच रही थी कि उसने कांग्रेस को बड़ी मात दे दी है लेकिन चंद दिनों बाद ही अशोक गहलोत भाजपा को करारी मात दे दी है। अशोक गहलोत ने 400 रुपये में ही सिलेंडर देने का वादा कर भाजपा के दाव को पलट दिया है। 
अशोक गहलोत ने कहा है कि कांग्रेस की सरकार बनने पर फूड सिक्योरिटी एक्ट में शामिल राशन लेने वाले 1.05 करोड़ परिवारों को 500 रुपए वाला गैस सिलेंडर 400 रुपए में दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि अभी तक 500 रुपए के सिलेंडर में उज्ज्वला योजना के परिवार शामिल थे, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाकर फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत आने वाले परिवारों को भी शामिल किया जाएगा। 
भाजपा ने जब मध्य प्रदेश और राजस्थान में 450 रुपये में सिलेंडर देने की घोषणा की तो लोग सवाल उठने लगे कि उत्तर प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्य में इस कीमत पर रसोई गैस सिलेंडर क्यों नहीं दिये जा रहे हैं। 
राजनैतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि भाजपा रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के मुद्दें पर कांग्रेस की चाल में फंसती नजर आ रही है। रसोई गैस का यह मुद्दा आने वाले दिनों में देश भर में उठेगा। ऐसे में हो सकता है कि लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार सिलेंडर की कीमतों में बड़ी कमी की घोषणा कर दे। अगर वह ऐसा नहीं करती है तो देश भर में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस इसे बड़ा मुद्दा बनायेगी
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कर्नाटक और हिमाचल में हार का बड़ा कारण रहा है

यह दोनों पार्टियों के बीच रसोई गैस को लेकर चल रही इस प्रतिस्पर्धा का कारण कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पिछले चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत है। उन दोनों राज्यों के चुनाव में कांग्रेस ने महंगे रसोई गैस सिलेंडर का मुद्दा उठाकर भाजपा को घेरा था। इसका नतीजा यह रहा कि उन दोनों राज्यों में भाजपा को करारी हार का मुंह देखना पड़ा। 
इस हार के बाद भाजपा को एहसास हुआ कि यह मतदाताओं के बड़े वर्ग से जुड़ा मुद्दा है। लगभग हर परिवार रसोई गैस की बढ़ती कीमतों से परेशान है। ऐसे में आगामी चुनावों में उसे हार का मुंह देखना पड़ सकता है। इस धारणा के पीछे मजबूत आधार यह था कि घरेलू गैस सिलेंडरों की कीमतें करीब 1200 रुपये तक चली गई थी। इसके कारण देश भर में भाजपा के प्रति एक बड़े वर्ग में गुस्सा है।
कम आय वाले परिवारों को महंगी रसोई गैस खरीदना तकलीफदायक हो रहा है। कर्नाटक और हिमाचल में हार के बाद केंद्र सरकार ने लोगों के गुस्से को कम करने के लिए रक्षाबंधन के अवसर पर रसोई गैस सिलेंडर के दाम में 200 रुपये की कटौती करने का फैसला लिया। कांग्रेस ने राजस्थान छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सस्ते रसोई गैस सिलेंडर का मुद्दा उठाया तो भाजपा के लिए भी इसे नजरअंदाज करना नामुमकिन हो गया। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अपने घोषणापत्र में 500 रुपये प्रति सिलेंडर पर सब्सिडी वाली गैस उपलब्ध कराने का वादा किया है।
जहां एक ओर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार इंदिरा गांधी गैस सब्सिडी योजना के तहत इस साल के अप्रैल से ही 500 रुपये में रसोई गैस सिलिंडर दे रही थी। इसके जवाब में कुछ समय पहले मध्य प्रदेश में बीजेपी की शिवराज सरकार ने 450 रुपये में सिलिंडर देने की घोषणा कर दी। बाद में पिछले सप्ताह इसी कीमत पर राजस्थान में भी सिलेंडर देने की घोषणा भाजपा ने की थी। जिसके बाद अशोक गहलोत 400 रुपये में ही सिलेंडर देने का वादा कर रहे हैं। 
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अब उज्जवला योजना से नहीं मिल पा रहा चुनावी लाभ

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत का एक बड़ा और महत्वपूर्ण कारण नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुरु की गई उज्जवला योजना थी। इस योजना के तहत करीब 10 करोड़ महिलाओं को सब्सिडी पर रसोई गैस मुहैया करवाया गया।
इसके कारण भाजपा को बड़ा चुनावी लाभ मिला था लेकिन अब माना जा रहा है कि रसोई गैस की बढ़ती कीमतों और कम सब्सिडी के कारण उज्जवला योजना अब भाजपा के लिए वोट दिलाने वाली योजना नहीं रही है। यही कारण है कि इस योजना के लागू रहने के बाद भी रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को मुद्दा बनाकर कांग्रेस कर्नाटक और हिमाचल का चुनाव जीत जाती है। 
अब राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हो रहे चुनाव में भी यह मुद्दा बन चुका है। भाजपा यहां 450 रुपये में ही रसोई गैस देने का वादा कर रही है लेकिन वह जोर-शोर से उज्जवला योजना के फायदे नहीं गिना पा रही है। गैस सिलेंडर की कीमतें बढ़ने के बाद उज्जवला योजना को लेकर इसके लाभार्थियों में अब पहले जैसा उत्साह नहीं रहा है। 
यह इतना बड़ा मुद्दा बन चुका है कि कुछ दिनों पहले तक सस्ती बिजली, रसोई गैस या मुफ्त में दी जाने वाली सौगातों की कड़ी आलोचना करने वाली भाजपा भी अब खुद मुफ्त और सस्ती चीजें देने का वादा कर रही है। भाजपा रसोई गैस जैसे मुद्दे पर चुनाव लड़ कर अपने परंपरागत मुद्दों से दूर होती भी दिख रही है। इस तरह वह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की बनाई पिच पर खेलने को मजबूर हो चुकी है।
यही कारण है कि यूपी जैसे राज्य में उज्ज्वला लाभार्थियों के लिए 'दिवाली उपहार' के तौर पर मुफ्त सिलेंडर की घोषणा की जाती है। उज्जवला योजना के लाभार्थियों में से एक बड़ी संख्या वर्ष में एक भी गैस सिलेंडर नहीं भरवा पा रही है। 

कभी उज्जवला योजना से बड़ा सियासी लाभ लेने वाली भाजपा अब महंगे सिलिंडर को लेकर राजनैकिक दबाव में आ चुकी है। राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि रसोई गैस सिलिंडर महंगाई की प्रतीक बना हुआ है और यहीं विपक्ष का नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली मजबूत भाजपा से मुकाबले के लिए बड़ा हथियार बन चुका है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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