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मोदी के द्वारा गहलोत की तारीफ पर पायलट का ‘आजाद’ वाला कटाक्ष

राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफ किए जाने को लेकर कटाक्ष किया है। पायलट ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री ने जिस तरह अशोक गहलोत की तारीफ की है वह दिलचस्प घटनाक्रम है क्योंकि इसी तरह प्रधानमंत्री ने संसद में कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद की तारीफ की थी और उसके बाद क्या हुआ, यह हम सब जानते हैं। पायलट ने कहा कि इस बात को किसी को भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। 

बताना होगा कि फरवरी, 2021 में गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा से विदाई समारोह के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में बेहद भावुक हो गए थे और उन्होंने आजाद की तारीफ की थी। आजाद ने कुछ महीने पहले कांग्रेस को अलविदा कह दिया था और अब वह अपनी पार्टी बनाकर जम्मू-कश्मीर में चुनाव लड़ रहे हैं। 

क्या कहा था पीएम मोदी ने?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानगढ़ में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि मुख्यमंत्री रहते हुए वह और अशोक गहलोत एक साथ काम करते रहे हैं और अशोक गहलोत सबसे सीनियर मुख्यमंत्रियों में से एक हैं।  

सवाल यह है कि क्या पायलट को इस बात का अंदेशा है कि गहलोत गुलाम नबी आजाद की राह पर चले जाएंगे। 

rajasthan congress crisis 2022 Sachin Pilot said End Indecision - Satya Hindi

'राजस्थान को लेकर फैसला करें कांग्रेस अध्यक्ष'

पायलट ने कहा है कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अब राजस्थान को लेकर कोई फैसला करना चाहिए। पायलट ने बुधवार को जयपुर में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष को उन विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जिन्होंने सितंबर में पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत की थी। 

बताना होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन जब सितंबर के महीने में बतौर पर्यवेक्षक राजस्थान पहुंचे थे तो गहलोत समर्थक विधायक जयपुर में बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में नहीं पहुंचे थे। 

इन विधायकों ने बैठक में पहुंचने के बजाय कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर बैठक की थी और फिर स्पीकर सीपी जोशी को अपने इस्तीफ़े सौंप दिए थे। ऐसे विधायकों की संख्या 100 के आसपास बताई गई थी। इसके बाद कांग्रेस हाईकमान ने सख्त एक्शन लेते हुए गहलोत के समर्थकों- शांति धारीवाल, महेश जोशी और विधायक धर्मेंद्र राठौड़ को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। 

गहलोत समर्थक विधायकों के इस्तीफे की खबर के बाद सियासी बवाल खड़ा हो गया था। गहलोत समर्थक विधायकों ने एक प्रमुख मांग यह रखी थी कि राज्य का नया मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों में से होना चाहिए।

सचिन पायलट ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष से अनुरोध करते हैं कि वह इस तरह की अनुशासनहीनता के खिलाफ कार्रवाई करें। पायलट ने कहा कि कांग्रेस के पर्यवेक्षकों ने इस बगावत को बेहद गंभीरता से लिया था और इसे अनुशासनहीनता माना था। उन्होंने कहा कि कोई भी नेता कितना ही बड़ा क्यों ना हो पार्टी के नियम सभी पर एक समान रूप से लागू होते हैं।  

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अगस्त-सितंबर में जब यह चर्चा शुरू हुई थी कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे तभी से राजस्थान में सियासी पारा चढ़ने लगा था। सीधा सवाल यही था कि आखिर अशोक गहलोत की जगह मुख्यमंत्री कौन होगा। क्या अशोक गहलोत और उनके समर्थक विधायक सचिन पायलट को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने देंगे। लेकिन विधायकों की बगावत के बाद अशोक गहलोत ने राजस्थान के घटनाक्रम के लिए पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगी और कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया।
इसके बाद एक बार फिर सचिन पायलट का इंतजार लंबा हो गया लेकिन यह जरूर कहा गया कि अध्यक्ष का चुनाव पूरा होने के बाद कांग्रेस हाईकमान राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कोई फैसला कर सकता है।

2020 में पायलट ने की थी बगावत 

याद दिलाना होगा कि साल 2020 में भी ऐसा ही सियासी संकट खड़ा हुआ था जब पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ गुड़गांव के पास मानेसर में स्थित एक रिजॉर्ट में चले गए थे। तब कई दिनों तक अशोक गहलोत और सचिन पायलट के खेमे आमने-सामने रहे थे और कांग्रेस हाईकमान को दखल देकर इस सियासी संघर्ष को खत्म करना पड़ा था। 

200 सदस्यों वाली राजस्थान की विधानसभा में कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं और उसके पास 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। बीजेपी के पास 70 विधायक हैं। 

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कौन होगा मुख्यमंत्री?

अगर अशोक गहलोत के समर्थक विधायक सचिन पायलट के नाम पर राजी नहीं हुए तो क्या ऐसी स्थिति में कांग्रेस हाईकमान गहलोत को हटाकर पायलट के अलावा किसी और अन्य नेता को मुख्यमंत्री बना सकता है। लेकिन क्या गहलोत समर्थक विधायक बगावत पर नहीं उतर आएंगे। 

राजस्थान में अगले साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं और सचिन पायलट के समर्थकों का सब्र अब जवाब देता दिख रहा है। देखना होगा कि मल्लिकार्जुन खड़गे राजस्थान के सियासी संकट को लेकर क्या कोई फैसला लेंगे। 

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क़मर वहीद नक़वी
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