राजस्थान में अडानी समूह की एक फ़र्म के ख़िलाफ़ फ़ैसला देने वाले जज का उसी दिन तबादला हो गया है। क्या यह सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया है या न्यायिक स्वतंत्रता पर सवाल?
राजस्थान में अडानी समूह की फर्म के ख़िलाफ़ फ़ैसला देने वाले जज का फैसले के दिन ही ट्रांसफर हो गया। जज ने राजस्थान सरकार की कंपनी के पक्ष में फैसला दिया था। स्क्रॉल की रिपोर्ट के अनुसार जयपुर की कमर्शियल कोर्ट के जज दिनेश कुमार गुप्ता ने 5 जुलाई को सुनवाई में कहा कि अडानी समूह की अगुवाई वाली फर्म ने राजस्थान सरकार की एक कंपनी से परिवहन शुल्क के नाम पर 1400 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाए और ज़्यादा मुनाफा कमाने की कोशिश की। जज ने इसके लिए अडानी समूह की फर्म पर 50 लाख का जुर्माना लगा दिया और सरकार को उनके बीच सौदों की सीएजी से जाँच कराने को कहा।
जिस दिन जज ने फ़ैसला दिया, उसी दिन राज्य की बीजेपी सरकार ने जज को पद से हटा दिया और राजस्थान हाईकोर्ट ने उन्हें ब्यावर जिले में ट्रांसफर कर दिया। कमर्शियल कोर्ट के जजों की नियुक्ति राज्य सरकार हाईकोर्ट की सहमति से करती है। रिपोर्ट के अनुसार इसके दो हफ्ते बाद 18 जुलाई को हाईकोर्ट ने जज गुप्ता के फैसले पर रोक लगा दी। अब इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी के आखिरी हफ्ते में होगी।
विवाद क्या था?
यह मामला कोयला खदान सौदे से जुड़ा है। 2007 में केंद्र के कोयला मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के हसदेव अरंड जंगल में एक कोयला ब्लॉक राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड यानी आरआरवीयूएनएल को आवंटित किया। यह राज्य सरकार की बिजली बनाने वाली कंपनी है। उद्देश्य था कि कंपनी को अपने थर्मल पावर प्लांट्स के लिए सीधे कोयला मिले। लेकिन कंपनी ने अडानी ग्रुप के साथ जॉइंट वेंचर बनाया, जिसमें अडानी की 74% हिस्सेदारी थी। खदान का काम भी अडानी को आउटसोर्स कर दिया गया। सौदे के अनुसार, कोयला रेल से राजस्थान लाना था। इसके लिए अडानी कंपनी को खदान से मुख्य रेल लाइन तक साइड ट्रैक बनानी थी।खदान 2013 में शुरू हुई, लेकिन रेल साइडिंग कई साल बाद बनी। तब तक दोनों कंपनियों ने सहमति से सड़क से कोयला ढोने का इंतजाम किया। मूल सौदे में सड़क परिवहन का ज़िक्र नहीं था। इसी मामले को लेकर विवाद शुरू हुआ।
अडानी की फर्म ने 1400 करोड़ वसूले
अडानी समूह की फर्म पारसा केंटे कोलियरीज लिमिटेड ने सड़क ढुलाई का खर्च राजस्थान सरकार की कंपनी से कुल 1400 करोड़ रुपये से ज्यादा वसूला। राजस्थान सरकार की कंपनी ने ये पैसे दे दिए। लेकिन 2018 में जब अडानी समूह ने देरी से पेमेंट पर ब्याज भी मांगा, तो कंपनी ने मना कर दिया।
2020 में मामला जयपुर कमर्शियल कोर्ट पहुंचा। अडानी की कंपनी ने याचिका दाखिल की, लेकिन जज दिनेश गुप्ता ने राजस्थान कंपनी के पक्ष में फैसला दे दिया।जज के फैसले में क्या कहा गया?
स्क्रॉल की रिपोर्ट के अनुसार फ़ैसले में जज ने लिखा कि 'सौदे के मुताबिक़ रेल साइडिंग बनाना अडानी कंपनी की ज़िम्मेदारी थी। वह नहीं बना पाई, तो सड़क ढुलाई का खर्च खुद उठाना चाहिए था। इसके बजाय कंपनी ने 1400 करोड़ रुपये वसूले और ब्याज से भी फायदा कमाने की कोशिश की।'
जज ने अडानी की कंपनी पर 50 लाख रुपये जुर्माना लगाया और राज्य सरकार को दोनों के सौदे की सीएजी जांच कराने को कहा। अब जज के इस फैसले पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।स्क्रॉल की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान सरकार के कानून विभाग और हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से इस ट्रांसफर की टाइमिंग और वजह पूछे जाने पर कोई जवाब नहीं मिला है। जज गुप्ता से फोन पर बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।