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‘पायलट की मांग, एक साल के अंदर मुख्यमंत्री बनाएं और इसकी घोषणा अभी करें’

कांग्रेस में बग़ावत का झंडा बुलद करने वाले राजस्थान सरकार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट मुख्यमंत्री के पद की जिद को लेकर अड़ गए हैं। पायलट चाहते हैं कि उन्हें एक साल के अंदर राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जाए और जब तक उनकी यह मांग नहीं मानी जाती, तब तक वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से भी नहीं मिलना चाहते। 

एनडीटीवी के मुताबिक़, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के एक क़रीबी सूत्र ने यह बात कही है। सूत्र के मुताबिक़, पायलट चाहते हैं कि मुख्यमंत्री पद को लेकर खुलकर घोषणा भी की जानी चाहिए। 

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यह ख़बर पायलट कैंप के उस दावे को ग़लत बताती है जिसमें उसकी ओर से कहा गया था कि पायलट को प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा से फ़ोन पर हुई बातचीत के तीन घंटे बाद उनके पदों से हटा दिया गया था। इसका सीधा मतलब यह है कि पायलट ने बग़ावत सोच-समझकर की है और उनका लक्ष्य राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी को हासिल करना है। 

बग़ावत के बाद पायलट को मनाने का एक लंबा दौर चला था, जिसमें राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी, पी. चिदंबरम, अहमद पटेल और कई वरिष्ठ नेताओं ने उनसे बात की थी। ख़बरों के मुताबिक़, पायलट के साथ बातचीत के बाद प्रियंका गांधी ने कहा था कि वह इस बारे में राहुल व सोनिया गांधी से बातचीत करेंगी।

एनडीटीवी के मुताबिक़, पायलट ने कहा, ‘एक तरफ़ कांग्रेस कहती है कि बातचीत के दरवाजे खुले हैं और दूसरी तरफ मुझे हटा दिया गया है और अयोग्य होने का नोटिस भेजा गया है। मुझ पर अशोक गहलोत ने हमला किया है।’ 

पायलट और उनके कैंप के 18 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भेजे गए नोटिस को जयपुर हाई कोर्ट में चुनौती दी है।

ऑडियो टेप से मुश्किलें बढ़ेंगी

राजस्थान की सियासत में आए कथित ऑडियो टेप में जिस तरह पायलट कैंप के विधायक भंवर लाल शर्मा का नाम सामने आया है, उससे कांग्रेस आलाकमान का भी यह शक पुख़्ता हो गया है कि बीजेपी द्वारा गहलोत सरकार को गिराने के लिए रची जा रही साज़िश में पायलट भी शामिल थे। इस बात को अशोक गहलोत ने भी कहा कि उनके पास इसके पुख़्ता सबूत हैं। 

कांग्रेस ने कहा है कि इन कथित ऑडियो टेप में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, भंवर लाल शर्मा और बीजेपी नेता संजय जैन के बीच बातचीत हो रही है। कांग्रेस का कहना है कि ऑडियो टेप में बातचीत के दौरान पैसे के लेन-देन को लेकर और गहलोत सरकार को गिराने की साज़िश रची जा रही है।

सरकार गिरा पाएंगे पायलट?

पायलट ने जिस तरह की मांग रखी है, उसे मानना कांग्रेस आलाकमान के लिए बेहद मुश्किल होगा। दूसरी ओर, दोनों पदों से हटाए जाने के बाद पायलट के लिए कांग्रेस में बने रहना बेहद मुश्किल होगा। राजस्थान हाई कोर्ट से अगर कोई राहत नहीं मिलती है तो फिर पायलट गहलोत सरकार को गिराने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन क्या वह ऐसा कर पाएंगे। 

102 या 109 विधायक?

200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में बहुमत के लिए 101 विधायक चाहिए। गहलोत समर्थकों की ओर से दावा किया जा रहा है कि उनके पास 109 विधायकों का समर्थन है लेकिन कांग्रेस के पास कुल 121 विधायकों के समर्थन (छोटे दलों और निर्दलीयों को मिलाकर) में से अगर 19 विधायक पायलट का साथ देते हैं तो गहलोत खेमे के पास 102 विधायक बचते हैं। ऐसे में देखना होगा कि क्या पायलट बीजेपी के साथ मिलकर गहलोत सरकार को गिरा पाते हैं या नहीं। क्योंकि गहलोत सरकार के पास 11 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है, अगर बीजेपी ने इसमें से दो विधायकों को भी तोड़ लिया तो गहलोत सरकार अल्पमत में आ जाएगी। 

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निर्दलीय विधायकों पर नज़र

बीजेपी के पास 72 विधायक हैं और उसे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन और दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। यह संख्या 77 बैठती है। अगर पायलट कैंप के 19 विधायक उसका समर्थन करते हैं तो यह संख्या 96 हो जाएगी। ऐसे में बीजेपी को 5 विधायकों की ज़रूरत होगी और उसकी नज़र स्वाभाविक रूप से निर्दलीय विधायकों पर लगी हुई है।  

सदस्यता खत्म करने की कोशिश

लेकिन इस सबसे पहले अशोक गहलोत की कोशिश है कि पायलट समर्थक विधायकों की सदस्यता खत्म हो जाए। जिससे विधानसभा की सदस्य संख्या घट जाए और वे आसानी से बहुमत साबित कर सकें। क्योंकि अगर पायलट व उनके समर्थक 18 विधायकों की सदस्यता जाती है तो विधानसभा की सदस्य संख्या 181 रह जाएगी, जिसमें बहुमत साबित करने के लिए 92 विधायकों की ज़रूरत होगी, इतने विधायक गहलोत आसानी से इकट्ठा कर लेंगे। 

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क़मर वहीद नक़वी
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