कोई इंसान इतना प्यारा और इतना दुलारा हो सकता है मैंने ना आज तक सुना और ना ही देखा था। लेकिन असम की ज़मीन पर जो नज़ारे देखे तो मुझे भी ज़ुबीन गर्ग, प्यार से ज़ुबीन दा से इश्क़ हो गया। किसी इंसान की मौत इतनी शानदार और जानदार हो सकती है, इसका मुझे बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था। जैसे ही ज़ुबीन दा की मौत की ख़बर आयी, ऐसा लगा जैसे असम के हर घर में कोई अल्लाह को प्यारा हो गया हो। 

मैं तो उन्हें फ़क़त एक सिंगर के हवाले से ही जानती थी लेकिन वो तो असम के लोगों के लिये ऑक्सिजन ऑफ लाइफ थे। जब उनका पार्थिव शरीर सिंगापुर से गुवाहाटी पहुँचा तो मंज़र देखने लायक था। लाखों की तादाद में लोग सड़कों पर उतर आए, अपने ज़ुबीन दा, अपने दिलकश चाँद को देखने के लिए। ऐसा लगा कि जैसे सारा का सारा असम एक जगह पर इकट्ठा हो गया है। एयरपोर्ट से उनके घर का सफ़र सात घंटों में तय किया गया जो दुनिया के किसी सातवें अजूबे से कम नहीं। पूरे असम राज्य में मातम पसर गया, दुकानें बंद हो गयीं, लोगों के घरों में चूल्हे नहीं जले, राज्य शोक घोषित किया गया, ब्रह्मपुत्र के अलावा ना जाने कितनी अश्रुपूरित नदियां वजूद में आ गईं, जीवन मानो रुक सा गया हो वो भी एक व्यक्ति के जाने से।
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सही मायने में ज़ुबीन दा उम्मीद की मशाल थे, गरीबों के दाता थे, कमज़ोर वर्ग के लोगों की आवाज़ थे, असमी संस्कृति के प्रकाशस्तंभ थे, मीठी आवाज़ के मालिक थे और असम के रखवाले थे। एक बेबाक, नरमदिल, बच्चों सी मासूमियत वाले, ज़ुबीन दा को शत शत नमन! उनकी मैय्यत पर हर आँख नम और हर दिल बेचैन था। इतनी भारी तादाद में लोगों का जमावड़ा था लेकिन सब के सब ग़मगीन और शौकाकुल थे। हर उम्र के लोग शामिल हुए ज़ुबीन दा की अंतिम यात्रा में। इतने आसमान में सितारे नहीं होंगे जितने लोग आए थे अपने आइडियल, अपने आइकॉन को अंतिम प्रणाम करने! 

मुझे तो बस इतना मालूम है जो भी रोया दिल से रोया, मैं भी रोई, लाखों ने नमन किया, कितनों ने ताबूत में रखे ज़ुबीन दा से बात भी की, कितनों ने पुष्प वर्षा की, जो नहीं आ पाये उन्होंने अपने अपने घरों में पूजा अर्चना की, पुलिसकर्मियों को भी रोते देखा मैंने, ऐसे ऐसे मंज़र देखे जो पहले कभी नहीं देखे।
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ज़ुबीन दा, इंसान नहीं थे, वो तो इंसान के रूप में भगवान थे, लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण थे, युवाओं के लिए प्रेरणा के स्त्रोत थे और ये अतिशयोक्ति नहीं होगी कि वो असमी संस्कृति की जीवनरेखा थे। अपने गीतों के माध्यम से उन्होंने पूरे असम का दिल जीता और अपनी परोपकारिता की बदौलत वो असम की धड़कन बन गए। भले ही उनके दिल की धड़कन रुक गयी है, वक़्त का सितम है लेकिन ज़ुबीन दा अपने चाहनेवालों की धड़कनों में हमेशा धड़कते रहेंगे। यूँ तो असम में हर वर्ष बाढ़ आती है लेकिन ये जो आँसुओं की बाढ़ आई है, इससे उबरने में असम को काफ़ी समय लगेगा। ज़ुबीन दा को भुलाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है!

दुनिया के सबसे बड़े कोरस ने मायाबिनी गीत गाकर ज़ुबीन दा की अंतिम इच्छा पूरी की-
मायाबिनी रातिर बुकुत
देखा पालू तुमार सोबी
धोरा दिला गोपौनेआही
हियार कुनोत
तुमी जेमोर खुकान मोनोत 
नियोरेरे सेसा तूपाल
नामी ओहा रोदोरे नोई
मोर देहोत प्रोति पुवा

ज़ुबीन दा, आपके जैसा ना कोई था, ना कोई है और ना ही कोई होगा इस सदी में! एक शेर आपके लिये कहा है मैंने-

मैं ज़िंदा था तो मशहूर था
मेरी मौत ने मुझे ला-फ़ानी कर दिया
आपकी मुरीद
सोनल निर्मल नमिता
लेखिका- कवयित्री