प्रधानसेवक मोदी जी दिल से  वैपारी हैं, लेकिन वे ऐसे वैसे नहीं, दूरदर्शी वैपारी हैं। वैपार को कैसे फैलाना है वे बखूबी जानते हैं। चाय के धंधे से मुल्क के वैपार तक उनकी वैपारिक प्रतिभा का उदाहरण है। अपनी पार्टी का कारोबार जिस तरह से उन्होंने बढ़ाया है वो भी इसका जीता जागता उदाहरण है।
राम नाम जपना… पराया माल अपना!
- व्यंग्य
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- 31 Jan, 2024 

भारतीय जनता पार्टी ने विपक्षी नेताओं को बीजेपी में शामिल करने पर विचार करने के लिए एक कमेटी बनाई है। मुकेश कुमार का ये व्यंग्य उसी पर केंद्रित है।
अब वे इसे और बढ़ाना चाहते हैं। इसके लिए उनके पास जो सबसे सफल फार्मूला है वे उसी को आज़माने जा रहे हैं। ये फार्मूला है दूसरे के माल को हड़पना। इससे उन्हें जो लाभ हुआ है और हो रहा है उसे ध्यान में रखते हुए उन्होंने इसका अलग शो रूम खोलने का ऐलान कर दिया है। अभी तक वे इधर-उधर छोटी-बड़ी ‘छीना-झपटी’ करते थे। मगर अब उन्होंने इसे सांस्थानिक स्वरूप देने का फ़ैसला कर लिया है। उन्होंने नेताओं और पार्टियों को तोड़ने के लिए बाकायदा एक कमेटी बना दी है। यानी अब तक जो काम वे लघु उद्योग के स्तर पर कर रहे थे अब उसको कार्पोरेट लेवल पर करेंगे। 



































