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कोरोना महामारी में फ़ेल रहे मोदी का सोशल मीडिया पर गुणगान क्यों?

कोरोना महामारी की इस दूसरी लहर में जब भारत में डेढ़ लाख से ज़्यादा लोग जान से हाथ गंवा बैठे हैं, लोगों ने अपनों को बिना दवाइयों, बिना ऑक्सीजन, बिना बेड्स के मरते-तड़पते देखा है, तो ऐसे में सवाल सहज रूप से सरकार से ही पूछे जाएंगे कि वह आख़िर कर क्या रही थी। जबकि भारत में कोरोना की दूसरी लहर को लेकर वैज्ञानिक से लेकर विपक्षी नेता मोदी सरकार को चेता रहे थे लेकिन मोदी सरकार का पूरा ध्यान पश्चिम बंगाल का चुनाव जीतने पर था। 

इसका जबरदस्त खामियाजा उन हज़ारों लोगों ने भुगता जिनकी क़ीमती जान को बचाया जा सकता था। आज जब गंगा किनारे पड़े शवों को कुत्ते नोच रहे हैं, हिंदू धर्म के लोगों को अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हो सका, ऐसे में सरकार को दोषी ठहराने के बजाय सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महिमामंडन किया जा रहा है, इसके लिए ऐसे-ऐसे तर्क दिए जा रहे हैं कि ग़रीब, अशिक्षित और कई बार शिक्षित जनता भी मान बैठती है कि हां, ये बात सही ही है। 

बीजेपी का सोशल मीडिया पर ग़जब का कब्जा है। लेकिन बीजेपी के आधिकारिक पेजों के अलावा भी कई फ़ेसबुक पेज, कई ट्विटर हैंडल के अलावा वॉट्सऐप से लेकर टेलीग्राम, इंस्टाग्राम और भी बाक़ी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर दिन-रात मोदी का गुणगान करने वालों की फ़ौज़ मौजूद है।

इनमें से बड़ी संख्या में पेड लोग हैं और लाखों लोगों को यह भरोसा दिलाया जा चुका है कि जब तक मोदी हैं तभी तक भारत में हिंदू सुरक्षित हैं, वरना ये देश इसलामिक राष्ट्र बन जाएगा। 

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सोशल मीडिया पर आ रहे तर्कों को देखिए। शुक्रवार को जब मोदी डॉक्टर्स से बात करते हुए भावुक हुए तो मोदीनामा नाम के पेज पर एक पोस्ट में कहा गया है कि जिसके लिए पूरा देश ही परिवार हो, वह अपने आंसुओं को छुपाए कैसे। 
Modi campaign on social media - Satya Hindi

इसी पेज पर शेयर किए गए एक तर्क में कहा गया है कि मोदी ने राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का एजेंडा पूरा करने के लिए अपना घर परिवार छोड़ दिया है। 70 साल की उम्र में भी उनके परिश्रम में कोई कमी नहीं है। 

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चाणक्य का सहारा

दक्षिणपंथी प्रचार से प्रभावित रविंद्र दत्त चमोली लिखते हैं कि आपातकाल में राजा का साथ देने के बजाय आप उसको नीचा दिखाने में रूचि रखते हैं तो यह आपकी वंशानुगत समस्या हो सकती है। उन्होंने इस बात को विद्धान चाणक्य के हवाले से लिखा है। चाणक्य के नाम से ऐसे हज़ारों वाक्य घूमते रहते हैं, जिनके बारे में पता नहीं चाणक्य ने कहा भी है या नहीं। 

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दवा का श्रेय मोदी सरकार को 

ऐसे ही एक दक्षिणपंथी पेज चर्चपाल व लोकपाल की पोस्ट है कि कांग्रेस के समय में डीआरडीओ जैसी बड़ी संस्था की कदर ही नहीं थी और आज मोदी सरकार के वक़्त में वही संस्था और उसके कर्मचारियों का कारनामा देखकर दुनिया हैरान रह गई है। डीआरडीओ ने हाल ही में कोरोना से लड़ने में प्रभावी एक दवा 2-DG बनाई है लेकिन इसका श्रेय मोदी सरकार को दिया जा रहा है। 

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इज़रायल का सहारा

ये सोशल मीडिया पेज मोदी का गुणगान करने के साथ ही विपक्ष के नेताओं को भी निशाना बनाने से नहीं चूकते। चर्चपाल व लोकपाल की एक पोस्ट में कहा गया है कि आपदा के वक्त में जहां इज़रायल में विपक्ष के नेता वहां के प्रधानमंत्री के साथ खड़े हैं जबकि भारत में राहुल गांधी प्रधानमंत्री का विरोध कर रहे हैं। 

कामकाज और दो जून की रोटी का जुगाड़ कर रही जनता के पास इतना वक़्त नहीं होता कि वह दक्षिणपंथी पेजों के द्वारा किए जा रहे इस प्रचार या कुप्रचार के तथ्यों की पड़ताल कर सके। 

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तीसरे विश्व युद्ध का शिगूफा

एक और दक्षिणपंथी पेज जागो आर्यावर्त कोरोना महामारी की दूसरी लहर को लेकर किसी अरविंद पाठक नाम के शख़्स के हवाले से कहता है कि तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत हो चुकी है और इसका केंद्र बिंदु भारत है। पोस्ट में कहा गया है कि चीन ने पहले अमेरिका की मीडिया को कंट्रोल करके उसे निपटाया और ठीक वही रणनीति भारत में अपनाकर यहां के लोगों के मन में मोदी के ख़िलाफ़ गुस्सा भरके 2024 में उन्हें निपटाने की तैयारी है। 

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प्रकाश सिंह पहाड़ी नाम के शख़्स ने एक आर्टिकल शेयर किया है जिसमें कहा गया है कि जब समय जितना ज़्यादा ख़राब होता है, मोदी उतना ही अच्छा प्रदर्शन करते हैं। इसमें कहा गया है कि मोदी जी की वजह से पाकिस्तान, चीन सहित कई मुल्क बर्बाद होने की कगार पर हैं और ये सब मिलकर भारत को गृह युद्ध में झोंकना चाहते हैं। 
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किसी सरकार या नेता का गुणगान करने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन जब देश में सरकार की लापरवाही के कारण हज़ारों लोगों की मौत हो जाए तो ऐसी सरकार का गुणगान करेंगे या उसे दोषी ठहराएंगे?

दक्षिणपंथियों के हज़ारों ग्रुप्स में ऐसी ही पोस्ट शेयर होती हैं। देवराज राज नाम के शख़्स लिखते हैं कि किसान आंदोलन में एक टूलकिट के जरिये पूरी दुनिया में देश का अपमान किया गया जबकि कोरोना महामारी में राहुल गांधी और कुछ पत्रकारों ने टूलकिट के जरिये लोगों की मौत का खिलवाड़ बना दिया। जबकि यह टूलकिट फर्जी साबित हो चुका है। 

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कामकाज और दो जून की रोटी का जुगाड़ कर रही जनता के पास इतना वक़्त नहीं होता कि वह दक्षिणपंथी पेजों के द्वारा किए जा रहे इस प्रचार या कुप्रचार के तथ्यों की पड़ताल कर सके।

सेंट्रल विस्टा का बचाव 

कोरोना काल में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए मोदी सरकार की ख़ासी आलोचना हो रही है लेकिन इसका भी जमकर बचाव किया जा रहा है। कट्टर हिंदुओं के एक ग्रुप में जुड़े चंद्र शेखर प्रसाद लिखते हैं कि भारत सरकार दिल्ली में अलग-अलग दफ्तरों के लिए लगभग 1000 करोड़ रुपये सालाना किराये के रूप में देती है और यह 70 साल से दिया जा रहा है लेकिन इस किराये को ख़त्म करने के लिए ही मोदी सरकार 970 करोड़ का सेंट्रल विस्टा बना रही है। 

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ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार या बीजेपी के जवाब में दूसरे दलों के पेज या ग्रुप सोशल मीडिया पर नहीं हैं। लेकिन दिक्कत इस बात की है कि दक्षिणपंथी पेजों में झूठ परोसा जा रहा है, अगर सच बोला जा रहा होता तो कोई परेशानी नहीं होती।

देश का नुक़सान तय!

ऐसा भी नहीं है कि लोग इस कुप्रचार का जवाब नहीं देते या इससे अनजान बने रहते हैं लेकिन महामारी में सरकार की हज़ार विफलताओं के बाद भी कुछ लोग सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिए तैयार नहीं हैं और इससे नुक़सान इस देश का, इस देश के लोगों का होना है, हो रहा है क्योंकि जिस देश में सरकार की जवाबदेही तय नहीं की जाती, उसकी भयंकर ग़लतियों को छुपाया जाता है, उस देश का रसातल में जाना तय है। 

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पवन उप्रेती
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