प्रियंका के सक्रिय राजनीति में आने का इंतज़ार कांग्रेस के कार्यकर्ता बरसों से कर रहे थे। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रियंका आई हैं, धूम-धड़ाके, गाजे-बाजे के साथ आई हैं। प्रियंका के आने की चर्चा तो टीवी, डिजिटल और सोशल मीडिया में है ही, लेकिन इससे ज़्यादा चर्चा है ट्विटर पर आते ही गोली की रफ़्तार से बढ़े उनके फ़ॉलोवर्स की। 

भारत में किसी राजनेता, बॉलीवुड हस्ती, खिलाड़ियों के लिए इतनी जबरदस्त दीवानगी बहुत कम देखी गई है कि ट्विटर पर आने के 24 घंटे में उनके फ़ॉलोवर्स की संख्या 1 लाख 40 हज़ार का आँकड़ा पार कर गई हो। इससे पहले रजनीकांत ने एक ही दिन में 2 लाख 15 हज़ार फ़ॉलोवर्स बना लिए थे।

राजनेताओं को छोड़कर, रजनीकांत से पहले यह रिकॉर्ड आमिर ख़ान के नाम था जिन्हें पहले दिन में 46 हज़ार यूजर्स ने फ़ॉलो किया था। इसके अलावा पहले दिन में अमिताभ बच्चन को 37 हज़ार 500, सचिन तेंदुलकर को 25 हज़ार, सलमान ख़ान को 19 हज़ार और शाहरुख़ ख़ान को 11 हज़ार यूजर्स ने फ़ॉलो किया था। इस तरह प्रियंका पहले ही दिन में भारतीय राजनेताओं के बीच फ़ॉलो किए जाने वाली पहली राजनेता और ग़ैर-राजनेताओं में दूसरे नंबर की शख़्सियत बन गई हैं।

ट्विटर पर क्यों आ रहे लोग 

जब सारी दुनिया बहुत तेज़ी से डिजिटल होती जा रही है तो लोग सोशल मीडिया पर कोई ताक़तवर प्लेटफ़ार्म चाहते हैं, जहाँ से वह अपनी बात दुनिया तक पहुँचा सकें। 2009 में भारत आया ट्विटर पहले कुछ सालों में बहुत लोकप्रिय नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे हर प्रभावशाली शख़्सियत को इसका सहारा लेना पड़ा। इसमें ऐसे लोगों के नाम का उल्लेख भी करना होगा जो इसमें आने से बचते रहे लेकिन अंत में उन्हें इसकी ताक़त के आगे नतमस्तक होना ही पड़ा। इनमें बसपा प्रमुख मायावती का नाम शामिल है, वह हाल ही में इस प्लेटफ़ॉर्म पर आई हैं। 

ताक़तवर और ज़रूरी माध्यम बना 

ट्विटर नेताओं के लिए आम जनता और कार्यकर्ताओं तक अपनी बात पहुँचाने का बहुत ताक़तवर माध्यम बन चुका है। उसी तरह आम आदमी के लिए अपनी बात सरकार या लोगों तक पहुँचाने में भी इसका अहम रोल है। इसकी ताक़त को समझते हुए भारत में भी राजनेता ट्विटर पर आने लगे। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2009 में इसके माध्यम से लोगों से जुड़ना शुरू किया। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी इसमें काफ़ी देर से आए, अप्रैल 2015 में। उससे पहले राहुल के ट्वीट @OfficeOfRG ट्विटर हैंडल से आते थे। 

सभी बड़े राजनेता काफ़ी सक्रिय

मोदी और राहुल गाँधी की सियासी लड़ाई का मैदान भी ट्विटर बना तो ममता बनर्जी से लेकर योगी आदित्यनाथ और अरविंद केजरीवाल से लेकर अखिलेश यादव तक ने अपनी बात को जनता तक पहुँचाने के लिए इसका सहारा लिया। भारत में मोदी सभी राजनेताओं से आगे हैं और ट्विटर पर उनके साढ़े चार करोड़ से ज़्यादा फ़ॉलोअर हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल ट्विटर पर ख़ासे सक्रिय रहे और वर्तमान में 84 लाख से ज़्यादा लोग उन्हें फ़ॉलो करते हैं।

भारत में दायरा बढ़ा रहा ट्विटर

भारत की आबादी 132 करोड़ के आसपास है और यह ट्विटर के लिए बहुत बड़ा बाज़ार है। देश में लोकसभा चुनाव नज़दीक हैं, इसलिए ट्विटर अब गाँवों की ओर रुख़ करने की तैयारी में है। उसका इरादा गाँवों, क़स्बों और छोटे शहरों में रहने वाले 19 करोड़ भारतीयों को अपने साथ जोड़ने का है। इसके लिए ट्विटर जगह-जगह रोड शो करने, क्षेत्रीय भाषाओं के ब्लॉगरों को अपने साथ ला रहा है। वह लोगों को सिखाएगा कि ट्विटर के प्लेटफ़ार्म का इस्तेमाल वह कैसे कर सकते हैं। ट्विटर अभी तक बड़े और मध्यम शहरों के लोगों तक ही सीमित था और इस पर ज़्यादातर अंग्रेज़ी बोलने वालों का ही दबदबा था। लेकिन ट्विटर अब देश की अलग-अलग भाषाओं में भी अपना विस्तार करने की तैयारी में है।