करीब दो दशक के क्रिकेट सफर में मुंबई के रोहित और ठाकुर को एक बात और जोड़ती है। मुंबई के लोकल ट्रेन में सफ़र करते हुए दोनों ने मध्यवर्गीय परिवारों के संघर्ष और त्याग को क़रीब से देखा लेकिन क्रिकेट में वो सिर्फ़ सफेद गेंद में ही अपना लोहा मनवा पाये।
34 साल के रोहित ने इससे पहले टेस्ट क्रिकेट में यूँ तो 7 शतक जमाये थे लेकिन ओवल के शतक के आगे वो सातों फीके ही साबित होते। अब उम्मीद की जा सकती है कि आलोचक रोहित की क़ाबिलियत पर ऊँगली नहीं उठायेंगे। और ऐसा ही ठाकुर के साथ भी होना चाहिए।
ऑस्ट्रेलिया के गाबा में टीम इंडिया जब 186-7 के स्कोर पर जूझ रही थी तो ठाकुर ने 67 रन से मैच और सीरीज़ का नतीजा ही पलट दिया। ओवल में पहले दिन जब टीम इंडिया 127-7 के स्कोर पर बुरी तरह से जूझ रही थी तो उनके 57 रनों ने मैच में 157 रन की जीत की बुनियाद डाली।