काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के लंका थाना क्षेत्र के रोहित नगर विस्तार क्षेत्र में बुधवार को एक प्लॉट पर डाले गए मलबे में सैकड़ों खंडित शिवलिंग मिले। सूचना मिलने पर स्थानीय लोग और संत वहाँ पहुँचे और उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। इसके बाद प्रशासन ने मलबे में मिले इन शिवलिंगों को थाने में रखवा दिया।
काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के निवासी रहे व वरिष्ठ टीवी पत्रकार पदमपति शर्मा ने मलबे में मिले शिवलिंगों पर शासन व प्रशासन की घोर निंदा की है। शर्मा ने कहा कि बनारस में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें व संकटमोचन मन्दिर के महंत विश्वम्भर नाथ मिश्रा को आश्वस्त किया था कि विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर योजना के अंतर्गत आने वाले किसी भी मन्दिर व विग्रह के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी भरोसा दिलाया था कि किसी भी तरह का ध्वस्तीकरण नहीं होगा। लेकिन जैसा कि उन्होंने कहा, सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया।
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शर्मा ने बताया, 'पूरे के पूरे मोहल्ले को ही श्मशान बना दिया गया। जिस मोहल्ले को ध्वस्त किया गया, उसका एक सुनहरा इतिहास है। इस क्षेत्र की हस्तियाँ विश्व में अपनी प्रतिभा का डंका बजा चुकी हैं। जो लाहौरी टोला लालबहादुर शास्त्री जी की कर्मभूमि थी। जहाँ देवकीनन्दन खत्री ने चंद्रकान्ता उपन्यास की रचना की, उस क्षेत्र को, उस मोहल्ले को पूरी तरह से ज़मींदोज़ कर दिया गया जबकि इसे सजाने, सँवारने व संरक्षित करने की जरूरत थी।'
शर्मा का कहना है कि यह हजारों साल पुराना बेहद समृद्ध मंदिरों का इलाक़ा था। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर योगी सरकार ने 1200 साल पुरानी काशी की विरासत को ख़रीद लिया और फिर इसे ध्वस्त कर दिया। शर्मा ने बताया कि ‘मायावती के शासन में भी यही हुआ। तब भी शिवलिंग तोड़े गए और उन्हें मलबे में फेंक दिया गया। विकास के नाम पर विनाश वाले फ़ॉर्मूले के कारण ही असी नदी आज नाला बन कर रह गई है।’ शर्मा ने कहा कि योगी सरकार व केंद्र सरकार ख़ुद को हिंदुत्व का झंडाबरदार बताती है लेकिन उसे हिंदुओं की भावनाओं का जरा भी ख़्याल नहीं है।
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