सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के 100 दिनों के अंदर ही अपने ज़्यादातर समर्थकों और विरोधियों की उम्मीदें तोड़ दीं और संकीर्ण मुद्दों को तरजीह दी।