2019 के संसदीय चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी को पहले से ज़्यादा बड़ा समर्थन मिला। उनके समर्थकों और विरोधियों, दोनों को उम्मीद रही होगी कि इतने भारी समर्थन के साथ सत्ता में दोबारा आए नरेंद्र मोदी और उनकी टीम शासकीय स्तर पर बहुत अच्छा प्रदर्शन करेगी। उन्हें विभाजनकारी, सांप्रदायिक और संकीर्ण मुद्दों को उठाने की अब ज़रूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के 100 दिनों के अंदर ही अपने ज़्यादातर समर्थकों और विरोधियों की उम्मीदें तोड़ दीं और इस दरम्यान चार बड़े सियासी-शासकीय मंजर सामने आए हैं।
'न्यू इंडिया' में क्या पुतिन और नेतन्याहू की राज-शैली की नकल हो रही है!
- सियासत
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- 19 Sep, 2019


भारी जनसमर्थन के साथ सत्ता में दोबारा आए नरेंद्र मोदी और उनकी टीम से उम्मीद थी कि शासकीय स्तर पर वे बहुत अच्छा प्रदर्शन करेंगे और उन्हें विभाजनकारी, सांप्रदायिक और संकीर्ण मुद्दों को उठाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के 100 दिनों के अंदर ही अपने ज़्यादातर समर्थकों और विरोधियों की उम्मीदें तोड़ दीं हैं।
पहला है - संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधानों और 35-ए आदि का ख़ात्मा, जम्मू कश्मीर राज्य का विभाजन और वहां के नेताओं को जेलखाने में डालना। दूसरा है - असम में एनआरसी की फ़ाइनल सूची से पैदा आतंक, बीजेपी-शासित अन्य राज्यों में भी एनआरसी लागू करने की धमकी का आना।





























