सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से सवाल किया कि यदि कोई राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को लंबे समय तक लंबित रखता है या उनकी मंजूरी में देरी करता है, तो ऐसी स्थिति में क्या कानूनी उपाय हैं। यह सवाल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए प्रेसिडेंशियल रेफ़रेंस के तहत उठा। प्रेसिडेंशियल रेफ़रेंस एक विशेष प्रावधान है जिसके तहत भारत के राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट से किसी भी कानून या फिर संवैधानिक मुद्दे पर सलाह मांग सकते हैं या उसके अपने फ़ैसले पर विचार करने के लिए कह सकते हैं।
राज्यपाल लंबे समय तक विधेयकों को लंबित रखे तो क्या उपाय? SC ने अटॉर्नी जनरल से पूछा
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- 19 Aug, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा सवाल उठाया—अगर राज्यपाल लंबे समय तक विधेयक लंबित रखते हैं तो क्या संवैधानिक उपाय हैं? जानिए, इस मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल ने क्या जवाब दिया।

राज्यपालों द्वारा अनिश्चित काल के लिए विधेयकों को लटका कर रखे जाने के सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कहा कि ऐसी स्थिति में भी, न्यायालय राज्यपाल के कार्यों को अपने हाथ में लेकर विधेयकों पर अपनी सहमति नहीं दे सकता। भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी।