देश के जाने-माने हिन्दी पत्रकार हेमंत शर्मा होली के मूड में हैं। लेकिन होलियाना मूड में उन्होंने जो लिखा है वो सांस्कृतिक रूप से दरिद्र हो रहे समाज को चेताननी है। होली सिर्फ रंगों का त्यौहार नहीं है। इसे आपको समझना होगा। पढ़िए उनका यह शानदार आलेखः
जो अपने अंदर की बुराई को न मार सके, जो अपने अहंकार को कम न कर सके, ऐसा समुदाय होलिका दहन करता हुआ क्या फूहड़ नहीं लगता है?