भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था की महत्वपूर्ण बातों को रेखांकित करतीं स्तंभकार वंदिता मिश्रा की यह टिप्पणीः
भारत की अदालतों में करोड़ों मुक़दमे लंबित पड़े हैं। भारतीय भाषाओं में बहस और फैसले करने से ही ये मुक़दमे जल्दी ख़त्म होंगे।