बीते कुछ दिनों में बैंगलुरू, मुंबई, गोवा और दिल्ली में जो कुछ घटित हुआ, वह हमारे शासन-तंत्र, संवैधानिक व्यवस्था और विधायिका की दृष्टि से बहुत चिंताजनक है।