प्रतिस्पर्धी प्रजातंत्र में अगर विपक्ष सरकार के बड़े लेकिन उनकी समझ में ग़लत फ़ैसले पर भी मौन रहता है तो उसे राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए।