परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल न करने को लेकर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बयान को ख़ुद उनके ही विदेश मंत्रालय ने खंडन क्यों कर दिया? किसके दबाव में यह सब हुआ?