पुरुषों ने ही सारे संस्थान बनाए, वही उस पर सबसे अधिक संख्या में हैं, वही तय करते हैं कि बलात्कार के बाद भी शादी करवा दी जाए, वही तय करते हैं कि यौन शोषण के बावजूद आरोपी से कुंडली मिलवा दी जाए...
रिया चक्रवर्ती और कंगना रनौत के मामलों में यह साफ़ देखा जा सकता है कि पितृसत्तात्मक समाज में शोषण और प्रताड़ना के लिए स्त्री कितनी सहज लक्ष्य है।