दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में ‘एढाक’ शिक्षक रहे समरवीर सिंह की खुदकुशी के बाद क्या पूरा तंत्र हिल नहीं जाना चाहिए था? लेकिन क्या पिछले एक साल में भी कुछ बदलाव हुआ?