क़रीब साढ़े तीन घंटे की बैठक का नतीजा क्या रहा क्या? मोदी सरकार मौजूदा गतिरोध को तोड़ पाने की दिशा में आगे बढ़ पाए? बैठक में हिस्सा लेने वाले 14 नेता बातचीत से कितना संतुष्ट हैं? और क्या उन्हें उम्मीद है कि दिल्ली कश्मीर समस्या का समाधान निकालने को लेकर गंभीर है?
काँग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की बग़ावत अब अनुशासन की हदें पार करती जा रही है। वे अमरिंदर पर लगातार हमले कर रहे हैं, उन्हें झूठा बता रहे हैं। सवाल उठता है कि ठीक चुनाव के पहले काँग्रेस इस सबको बर्दाश्त क्यों कर रही है और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है?
प्रशांत किशोर का कहना है कि तीसरा-चौथा मोर्चा का फॉर्मूला पुराना पड़ चुका है तो फिर नया फॉर्मूला क्या होगा? कैसे बनेगा बीजेपी के विरोध में विपक्षी दलों का मोर्चा?
संघ और बीजेपी के सर्वोच्च नेताओं की लगातार बैठकों के बाद ये दावा किया गया था कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व को लेकर उठा विवाद सुलझा लिया गया है। लेकिन पार्टी नेताओं के परस्पर विरोधी बयान बताते हैं कि झगड़ा जारी है और सब कुछ ठीक नहीं है।
चिराग पासवान के पलटवार का क्या होगा अंजाम? क्या चाचा से छीन पाएंगे पार्टी की कमान? क्या वे किसी और दल का थामेंगे दामन?
नीतीश ने चिराग पासवान से विधानसभा चुनाव का बदला ले लिया है। उनको उन्हीं के चाचा पशुपति पारस ने हाशिए में ढकेल दिया है। सवाल ये है कि क्या चिराग का राजनीतिक करियर अंधकार में खो जाएगा या मोदी-शाह उन्हें रौशनी देंगे?
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वसरमा ने मुसलमानों को ही परिवार नियोजन की सलाह क्यों दी? क्या ये इस्लामोफ़ोबिया के ज़रिए सांप्रदायिकता फैलाने के उनके अभियान का हिस्सा है?
पिछले एक महीने से दिल्ली-लखनऊ में जंग छिड़ी हुई थी। लगता है कि संघ के बीच-बचाव से युद्ध विराम हो गया है। मगर सवाल ये है कि इस जंग में कौन जीता और ये युद्ध विराम किन शर्तों पर हुआ है?
मोदी ममता की सरकार को कमज़ोर करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं, मगर ममता उनकी पार्टी को तोड़ने में लगी हैं। मुकुल रॉय और राजीब बैनर्जी जैसे बड़े नेता पार्टी छोड़ने के संकेत दे रहे हैं। ऐसे में वे बीजेपी को कैसे बचाएंगे?
अरसे बाद पहली बार टीका नीति पर सुप्रीम कोर्ट तनकर खड़ा हुआ है और उसने मोदी सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया है। लेकिन क्या वह बड़े टकराव के लिए तैयार है?
प्रधानमंत्री द्वारा टीका मुफ़्त किए जाने के फ़ैसले का श्रेय सुप्रीम कोर्ट को दिया जा रहा है। मगर क्या ये माना जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट बदल गया है और उसकी विश्वसनीयता बहाल हो रही है?
बेरोज़गारी के आँकड़े चरम पर पहुँच गए हैं, लेकिन मोदी सरकार के कानों में जूँ तक नहीं रेंग रही, आख़िर क्यों?हरवीर सिंह, जयशंकर, अशोक वानखेड़े, हरजिंदर, विजय त्रिवेदी
इस्रायल और हमास के बीच युद्ध विराम की घोषणा हो गई है, मगर क्या वह टिक पाएगा और क्या ये स्थायी शांति का रास्ता खोल पाएगा? वैल अव्वाद, फ़िरोज़ मीठीबोरवाला, शीबा असलम फ़हमी
वैक्सीन से जुड़ा सवाल करने वाले पोस्टरों पर दिल्ली पुलिस जिस तरह से कार्रवाई कर रही है, वह आपातकाल की याद दिलाती है। क्या अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आपातकाल की विधिवत् घोषणा नहीं कर देनी चाहिए?
कोरोना से जुड़े ऑंकड़े महामारी के कम होने की कहानी कह रहे हैं। मगर सवाल ये है कि क्या ये ऑंकड़े विश्वसनीय हैं?
इस्रायल और फिलिस्तीन के बीच फिर से संघर्ष शुरू हो गया है और इसमें कोई इस्रायल के साथ खड़ा हैं तो कोई फिलिस्तीन के साथ। सवाल उठता है कि किसके साथ खड़ा होना सही है और क्यों?
इस्रायल के हमले पर अरब देश क्यों खामोश हैं? क्या अमेरिका और विश्व बिरादरी इसमें दखल देगी और देगी तो किस तरह? फ़िरोज़ मीठीबोरवाला, मुंबई, डॉ. सुनीलम, भोपाल, शीबा असलम फ़हमी, दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की देश-विदेश में भयंकर आलोचना हो रही है, मगर बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में चुप्पी है, क्यों?
चुनाव आयोग मीडिया में आलोचना के ख़िलाफ़ कोर्ट की शरण में क्यों गया? मद्रास हाईकोर्ट की मौखिक टिप्पणियों के बाद मीडिया में चुनाव आयोग की आलोचना की बाढ़ आ गई थी। अब चुनाव आयोग चाहता है कि कोर्ट मीडिया का मुँह बंद करे। क्या ये सही है?
देश की सड़कों पर साल भर पहले के दृश्य फिर से नज़र आ रहे हैं। लॉकडाउन की आशंकाओं से घिरे मज़दूर दिल्ली, मुंबई और दूसरे बड़े शहरों से घर को चल पड़े हैं। सरकारें उन्हें भरासे में क्यों नहीं ले पाईं?
जब देश महामारी से बेहाल है तो अरबपतियों की तादाद बढ़ रही है, उनकी संपत्तियों में कई गुना की वृद्धि हो रही है। ऐसा क्यों हो रहा है? अदानी-अंबानी की तिजोरियाँ क्यों भर रही हैं? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
मोदी सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार सन् 2020 में चीन एक बार फिर से भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझीदार बन गया है। जब सरकार चीन के साथ सौदों को रद्द कर रही थी, चीनी ऐप को बैन कर रही थी तो ऐसा कैसे हो गया? क्या सरकार देश से झूठ बोल रही थी? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़ों के अनुसार राजद्रोह और ग़ैर कानूनी गतिविधियाँ रोकथाम कानून यानी यूएपीए के मामलों में एकदम से बढ़े हैं। ये आँकड़े बताते हैं कि केंद्र और राज्य की सरकारें ज़्यादा दमनकारी हुई हैं और हालात पैंतालीस साल पहले लगाई गई इमर्जेंसी से भी बदतर हुए हैं। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा है कि कर्नाटक में राममंदिर के लिए चंदा ले रहे लोग चंदा देने और न देने वालों के घरों पर निशान लगा रहे हैं। सवाल उठता है कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्या ये हिटलर के कार्यक्रमों से प्रेरित है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग़ के फ़ैसले पर पुनर्विचार याचिका ठुकराते हुए एक ऐसे फ़ैसले को सही ठहरा दिया है जो ढेर सारे प्रश्नों को जन्म देता है। इससे लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन का अधिकार बाधित हो सकता है और सरकारों को आंदोलन कुचलने का नया हौसला मिल सकता है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
क्रिकेट खिलाड़ी वसीम जाफ़र ने अपने ऊपर लगाए गए तमाम आरोप के जवाब दे दिए हैं और ऐसा लगता है कि उत्तराखंड क्रिकेट संघ के अधिकारी अब पीछे हटने लगे हैं। लेकिन उन्होंने ऐसा किया क्यों और क्या इस खेल में भगवा राजनीति की भी कोई भूमिका है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-