मद्रास हाईकोर्ट ने विजय की तमिलागा वेत्री कझगम यानी टीवीके की रैली में हुई भगदड़ को लेकर पार्टी की जबर्दस्त खिंचाई की। कोर्ट ने कहा कि भगदड़ के दौरान टीवीके के नेता पीड़ितों को छोड़कर भाग गए थे, जो उनकी मानसिकता को दिखाता है। इसके साथ ही अदालत ने घटना की सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। पूरे मामले में अदालत ने पार्टी नेताओं की आलोचना की और कहा कि इस अदालत को राजनीतिक अखाड़ा नहीं मानें। जस्टिस एन. सेन्थिलकुमार ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी असरा गर्ग के नेतृत्व में एक विशेष जांच टीम यानी एसआईटी गठित करने का आदेश दिया, साथ ही पार्टी की लापरवाहीपूर्ण हरकतों और नेता को पछतावा नहीं होने पर भी आलोचना की।

उन्होंने कहा, 'भगदड़ के समय टीवीके के नेता खुद भाग गए थे। उन्होंने पीड़ितों की मदद नहीं की, जो उनकी मानसिकता को दिखाता है।' कोर्ट ने उस याचिका को 'असभ्य' बताते हुए खारिज किया, जिसमें सीबीआई जांच की मांग थी।  कोर्ट ने साफ कहा, 'यह राजनीतिक अखाड़ा नहीं है। न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा रखें।' कोर्ट ने टीवीके पर सवाल उठाया कि भगदड़ के बाद कोई वरिष्ठ नेता पीड़ित परिवारों से मिलने क्यों नहीं गया। कोर्ट ने राज्य पुलिस को ही जांच जारी रखने का निर्देश दिया। 27 सितंबर को करूर में हुई इस भगदड़ में 41 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें बच्चे और महिलाएँ भी शामिल हैं। कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर सार्वजनिक रैलियों के लिए सख्त दिशानिर्देश भी दिए हैं।
यह फ़ैसला टीवीके की ओर से दायर याचिकाओं के जवाब में आया है, जिसमें पार्टी ने डीएमके सरकार पर साज़िश रचने का आरोप लगाते हुए सीबीआई जाँच की मांग की थी। कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें टीवीके के नामक्कल जिला सचिव एन सतीश कुमार ने राहत मांगी थी। बीजेपी नेता उमा आनंदन की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका को भी अस्वीकार कर दिया गया। कोर्ट ने पीड़ितों को मुआवजे की मांग पर तमिलनाडु सरकार और टीवीके को नोटिस जारी किया है।

'विजय गायब, मदद के लिए कोई नहीं रहा'

जस्टिस सेन्थिलकुमार ने कहा, 'एक इंसान के नाते मैं इन मौतों पर शोक व्यक्त करता हूं; एक जज के नाते इतनी जिंदगियाँ खोते देखना दर्दनाक है। आपने क्या कार्रवाई की? आपने इसे होने दिया और अब कहते हैं कि सिर्फ दो को गिरफ्तार किया गया। ज़िम्मेदार कौन है? नेता विजय गायब हो गये– लापता हो गये– और कोई मदद करने वाला बाकी नहीं रहा।'

अदालत की ये टिप्पणियाँ न सिर्फ विजय के हादसे के प्रबंधन पर, बल्कि तमिलनाडु सरकार की प्रतिक्रिया पर भी सीधी चोट करती हैं।

राज्य ने अब तक स्थानीय जिला सचिवों के खिलाफ ही पुलिस केस दर्ज किए हैं और सुपरस्टार के खिलाफ सीधी कार्रवाई से बचा है, लेकिन कोर्ट ने इस संयम पर सवाल उठाए। कोर्ट ने राज्य के पब्लिक प्रॉसीक्यूटर से पूछा, 'करूर भगदड़ पर एफआईआर दर्ज करने के बाद आगे कार्रवाई क्यों नहीं?'

उन्होंने मौतों को मानव-निर्मित बड़ी आपदा बताते हुए कहा, 'कोर्ट अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता। कोर्ट मूक दर्शक नहीं बन सकता। कोर्ट अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकता। पूरी दुनिया ने इस घटना के क्रम और परिणामों को देखा है।'
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कोर्ट ने शनिवार से वायरल हो रहे वीडियो को लेकर भी आलोचना की। जस्टिस सेन्थिलकुमार ने पूछा, 'वीडियो में टीवीके की कैंपेन बस के नीचे दोपहिया वाहन फंसते दिख रहे हैं। ड्राइवर ने देखा, फिर भी नहीं रुका। क्या यह हिट-एंड-रन का मामला नहीं? ऐसा केस क्यों नहीं दर्ज किया गया? ऐसा लगता है कि राज्य आयोजकों के प्रति नरमी बरत रहा है।'

रैली में क्या हुआ था?

27 सितंबर को करूर में टीवीके प्रमुख विजय की सार्वजनिक रैली के दौरान भगदड़ मच गई थी। पुलिस के अनुसार, अनुमानित 10 हज़ार की तुलना में 27 हज़ार लोग जमा हो गए थे। विजय के सात घंटे की देरी से पहुंचने के कारण भीड़ बेकाबू हो गई। अचानक बिजली गुल होने, खाली एम्बुलेंसों की मौजूदगी ने अफरा-तफरी मचा दी। परिणामस्वरूप 41 मौतें हुईं और 60 से अधिक लोग घायल हो गए।

टीवीके ने आरोप लगाया कि डीएमके कार्यकर्ताओं ने जानबूझकर बिजली काटी और गुंडों को भेजा, जिससे पत्थरबाजी हुई। पार्टी ने कहा कि संकरी सड़कों पर अनुपयुक्त जगह दी गई और पुलिस ने निर्दोषों पर लाठीचार्ज किया, लेकिन पुलिस ने टीवीके के तीन पदाधिकारियों करूर (उत्तर) जिला सचिव माधियाजगन, महासचिव बसी आनंद और संयुक्त महासचिव सीटीआर निर्मल कुमार के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया। 
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राज्य सरकार ने रिटायर्ड जस्टिस अरुणा जगदीशन के नेतृत्व में एक सदस्यीय जाँच आयोग गठित किया है। टीवीके ने इसे पक्षपाती बताते हुए मद्रास हाईकोर्ट में सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग की। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि यह राज्य का मामला है, केंद्र को हस्तक्षेप की जरूरत नहीं।

साजिश के आरोपों से गरमाई राजनीति

टीवीके ने डीएमके पर 'साजिश' का आरोप लगाया, लेकिन मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसे 'लापरवाही' बताया। स्टालिन ने कहा, 'भीड़ प्रबंधन और देरी जिम्मेदार हैं।' पूर्व सीएम ओ. पन्नीरसेल्वम ने भी सीबीआई जांच की मांग की थी। विजय ने मृतकों के परिवारों को 20 लाख और घायलों को 2 लाख रुपये की सहायता घोषित की। राज्य सरकार ने भी मृतकों को दस दस लाख रुपये की सहायता की घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएमएनआरएफ से 2 लाख रुपये की अनुदान की घोषणा की। जानकारों का कहना है कि यह घटना विजय की राजनीतिक महत्वाकांक्षा को झटका देगी, क्योंकि टीवीके अभी संगठन बनने के चरण में है।