तमिलागा वेट्री कझगम (टीवीके) के प्रमुख और अभिनेता से राजनेता बने जोसेफ विजय की करूर रैली में भगदड़ से 31 लोगों की मौत हो गई और 46 लोग घायल हो गए। पुलिस सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि उस समय भगदड़ मची जब भीड़ अचानक आगे बढ़ी, जिसके चलते कई लोग बेहोश हो गए और स्थिति बेकाबू हो गई। मरने वालों में बच्चे भी हैं। लोगों ने पुलिस और बदइंतजामी को भगदड़ की वजह बताई है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने अनुमान लगाया कि रैली स्थल पर "कम से कम 30,000 लोग" मौजूद थे, जहां विजय को नामक्कल में अपनी पिछली रैली के बाद भाषण देना था। हालांकि, विजय का आगमन छह घंटे से अधिक देरी से हुआ, जिसके कारण भीड़ अनियंत्रित रूप से बढ़ गई।

स्टालिन ने मौके पर अपने मंत्रियों की ड्यूटी लगाई

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस त्रासदी पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया मंच X पर लिखा, "करूर से आई खबरें हृदयविदारक हैं। मैंने बेहोश हुए लोगों के लिए फौरन इलाज के आदेश दिए हैं और स्वास्थ्य मंत्री, कलेक्टर, पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी को सहायता के निर्देश दिए हैं। एडीजीपी को स्थिति सामान्य करने का जिम्मा सौंपा गया है। मंत्री अंबिल महेश को युद्धस्तर पर मदद पहुंचाने के लिए कहा गया है। मैं जनता से पुलिस के साथ सहयोग करने की अपील करता हूं।"

विजय की रैलियों पर सवाल, समर्थक कानून मानने को तैयार नहीं

यह पहली बार नहीं है जब विजय की रैलियों पर सवाल उठे हैं। इस महीने की शुरुआत में तिरुचिरापल्ली में उनकी पहली रैली में भारी भीड़ ने उनके काफिले को हवाई अड्डे से रैली स्थल तक छह घंटे तक रोके रखा, जिससे शहर में यातायात ठप हो गया। सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए पुलिस ने टीवीके की रैलियों के लिए 23 शर्तें लागू की थीं, जिनमें काफिले में शामिल होने, सार्वजनिक स्वागत और गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों व दिव्यांगों के लिए ऑनलाइन आयोजन देखने की सलाह शामिल थी। हालांकि, विजय के बार-बार अनुरोध के बावजूद, उनके समर्थकों ने इन शर्तों की खुलेआम अवहेलना की। कई लोग बच्चों और शिशुओं को साथ लाए थे।

मद्रास हाईकोर्ट भी जवाबदेही पर सवाल उठा चुका है

मद्रास हाईकोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में टीवीके की याचिका पर सुनवाई करते हुए, पुलिस द्वारा लगाई गई "कठिन और अव्यवहारिक शर्तों" पर सवाल उठाया था। जस्टिस एन. सतीश कुमार ने 13 सितंबर को तिरुचिरापल्ली रैली में हुई अव्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा, "अगर कुछ अनहोनी हो जाती, तो जिम्मेदारी कौन लेता? पार्टी अध्यक्ष के रूप में विजय को भीड़ को नियंत्रित करना चाहिए।" कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या ऐसी शर्तें सभी पार्टियों पर समान रूप से लागू की जा रही हैं।

टीवीके ही करूर घटना के लिए जिम्मेदार

करूर की त्रासदी ने टीवीके की जवाबदेही और पुलिस की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। क्या विजय की देरी से भीड़ का दबाव बढ़ा और क्या यह उनकी लोकप्रियता दिखाने का जानबूझकर किया गया प्रयास था? क्या पिछली रैलियों के संकेतों के बावजूद इस तरह की आपदा को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय किए गए थे?
तमाम प्रभावित परिवार अपने प्रियजनों की मौत का शोक मना रहे हैं, लेकिन विजय ने इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक इस घटना पर कोई बयान जारी नहीं किया है। जांच के आदेश दे दिए गए हैं, और यह त्रासदी भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सबक के रूप में सामने आई है।