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तमिलनाडु : शशिकला ने किया राजनीति छोड़ने का एलान

ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) की पूर्व प्रमुख वी. के. शशिकला ने राजनीति छोड़ने का एलान करते हुए कहा है कि वे कभी भी सत्ता या ऊँचे पद के पीछे नहीं भागीं। वे इस साल जनवरी में ही जेल से रिहा हुई थीं और इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को प्रभावित करने की स्थिति में थीं। लेकिन इस बीच उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने का एलान कर सबको चौंका दिया है। 
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तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता के नज़दीक रहीं शशिकला ने बुधवार शाम कहा, ''मैं तमिलनाडु में एआईएडीएमके की सरकार बनना सुनिश्चित करने के लिए राजनीति छोड़ रही हूँ। मैं पार्टी की जीत के लिए भगवान और मेरी बहन (जयललिता) से प्रार्थना करूंगी।'' 

राजनीति छोड़ने का एलान करते हुए उन्होंने कहा कि वे हमेशा तमिलनाडु के लोगों की भलाई के लिए काम करती रहेंगी और अम्मा (जयललिता) के बताए मार्ग पर चलेंगी। 

उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तमिलनाडु में एमजीआर (एम. जी. रामचंद्रन) का राज चलता रहे। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे हर हाल में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) को चुनाव में हराएं। 

कार्यकर्ताओं से की अपील

शशिकला ने कहा कि अम्मा के कैडरों को डीएमके को हराने के लिए काम करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अम्मा का सुनहरा शासन वापस लौट आए। 

आम चुनाव 2019 में एआईएडीएमके ने बीजेपी के साथ क़रार किया था, दोनों दलों को बुरी शिकस्त मिली थी। तमिलनाडु की इस बड़ी पार्टी को लोकसभा में सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा था जबकि बीजेपी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। 

शशिकला भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में थीं। इस साल जनवरी में रिहा हुई थीं। उन्होंने रिहा होते ही मुख्यमंत्री ई. के. पलानीस्वामी और उप-मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम के ख़िलाफ़ मुक़दमे दायर कर दिए थे। इन मामलों की सुनवाई 15 मार्च से शुरू होने वाली है। 
शशिकला ने जयललिता की मृत्यु के बाद दिसंबर, 2016, में पार्टी में उनकी जगह ले ली थी। लेकिन उसके बाद उन्हें भ्रष्टाचार के एक मामले में चार साल की सज़ा सुनाई गई। लेकिन जेल जाने से पहले उन्होंने पलानीस्वामी को अपना उत्तराधिकारी चुन लिया। उस समय पलानीस्वामी और पन्नीरसेल्वम एक-दूसरे के विरोधी हुआ करते थे। लेकिन बाद में उन दोनों ने हाथ मिला लिया और शशिकला को पद से हटा दिया।
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क़मर वहीद नक़वी
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