loader

केसीआर के ऑपरेशन आकर्ष से तेलंगाना में मिट जाएगी कांग्रेस?

तेलंगाना में कांग्रेस की हालत दिन-ब-दिन ख़राब हो रही है। एक के बाद एक कांग्रेस के विधायक सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) में शामिल होते जा रहे हैं। कांग्रेस के 19 विधायकों में से 9 ने एलान कर दिया है कि वे अब टीआरएस के साथ हैं। सूत्रों के अनुसार पाँच और विधायक भी जल्द ही कांग्रेस छोड़ सकते हैं। 

ताज़ा ख़बरें

कांग्रेस छोड़ने वाले विधायकों में पूर्व गृह मंत्री और महेश्वरम से विधायक सबिता इंद्रा रेड्डी, चिरुमर्ती लिंगय्या (नकरीकल), अतराम सक्कु  (आसिफाबाद), रेगा कांता राव (पिनपाका), हरिप्रिया बनोथ (इल्लेंदु), कंदाला उपेंदर रेड्डी (पालेर), वनमा वेंकटेश्वर राव (कोत्तागुडेम), सुधीर रेड्डी (एलबी  नगर) और जाजुला सुरेंदर (येल्लारेड्डी) शामिल हैं। यानी विधानसभा में अब कांग्रेसी विधायकों की संख्या 10 पर सिमट कर रह गयी है। 

इससे अब कांग्रेस के हाथ से ‘विपक्ष के नेता’ का दर्जा निकल जाएगा। 119 सीटों वाली तेलंगाना विधानसभा में ‘विपक्ष का नेता’ बनने के लिए कम-से-कम 12 विधायकों का होना ज़रूरी है। तेलंगाना विधान परिषद में पहले ही कांग्रेस विपक्ष के नेता का दर्जा खो चुकी है।

टीआरएस के मुखिया और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव (केसीआर)  ने ‘ऑपरेशन आकर्ष’ चलाया हुआ है। सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के लिए मतदान से पहले केसीआर कांग्रेस को इतना कमज़ोर करना चाहते हैं कि राज्य की सभी 17 सीटों पर टीआरएस की ही जीत हो। दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में टीआरएस को 88 सीटें मिली थीं। उसकी राजनीतिक सहयोगी मजलिस पार्टी को 7 सीटें मिली थीं। कांग्रेस ने तेलुगु देशम, सीपीआई और तेलंगाना प्रजा समिति के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था लेकिन इसे 119 सीटों में से सिर्फ़ 21 सीटों पर जीत हासिल हो पायी थी। इन 21 सीटों में से 19 कांग्रेस और 2 तेलुगु देशम ने जीती थीं। तेलुगु देशम के एक विधायक वेंकट वीरय्या पहले ही टीआरएस में जा चुके हैं।

  • कांग्रेस के 9 विधायकों के अलावा 2 निर्दलीय और एक तेलुगु देशम के विधायक के टीआरएस में चले जाने से अब सत्ताधारी पार्टी के पास कुल 100 विधायक हैं। अगर सहयोगी मजलिस पार्टी के सात विधायकों को भी मिला लें तो सत्ता पक्ष के पास 119 में से 107 विधायक हैं। यानी सिर्फ़ 12 विधायक विपक्ष में हैं, जिनमें 10  कांग्रेस के, एक तेलुगु देशम और एक भारतीय जनता पार्टी का है।
कांग्रेस के बचे 10 विधायकों में से 5 और भी टीआरएस में जा सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तब 14 कांग्रेसी विधायकों पर दल-बदल क़ानून भी लागू नहीं होगा। और, विपक्ष की संख्या सिर्फ़ 7 पर सिमट कर रह जाएगी।

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि केसीआर का असली मिशन कांग्रेसमुक्त तेलंगाना है, ताकि आने वाले वर्षों में कांग्रेस उनके बेटे और राजनीतिक उत्तराधिकारी के. तारक रामा राव (केटीआर) को चुनौती देने की स्थिति में भी न रहे।

गुटबाज़ी से कमज़ोर पड़ रही है कांग्रेस?

राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस में गुटबाज़ी की वजह से ही वह कमज़ोर पड़ रही है और बिखर भी रही है। कांग्रेस के पास तेलंगाना में एक भी नेता ऐसा नहीं है जिसे सभी अपना नेता मान लें। यानी एक करिश्माई नेता की कमी की वजह से कांग्रेस मुश्किलों में है। केसीआर जैसे अनुभवी और बड़े नेता की टक्कर का नेता न होना भी कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।

कई दिग्गज नेता भी फ़िलहाल चुप हैं। जयपाल रेड्डी, हनुमंत राव, जाना रेड्डी जैसे नेता पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद से सक्रिय नही हैं।

तेलंगाना से और ख़बरें

अलग राज्य से नहीं हुआ कांग्रेस को फ़ायदा?

ग़ौर करने वाली बात यह है कि कांग्रेस आलाकमान ने कई तरह के जोख़िम उठाते हुए 2014 में तेलंगाना को अलग राज्य बनाया था। आंध्र के कांग्रेसी नेताओं ने तेलंगाना को अलग राज्य बनाये जाने का पुरजोर विरोध किया था। कई नेता पार्टी आलाकमान के फ़ैसले से नाराज़ होकर दूसरी पार्टी में चले गये थे। कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगता था कि अलग राज्य देने की वजह से तेलंगाना की जनता उसे सत्ता सौंपेगी। लेकिन कांग्रेस की उम्मीदों से बिल्कुल उलट जनता ने टीआरएस को चुना। कांग्रेस को आंध्रप्रदेश के विभाजन की दोहरी मार पड़ी। एक तो वह आंध्रप्रदेश में लगभग साफ़ हो गयी और दूसरी अब तेलंगाना में उसकी स्थिति बेहद ख़राब है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
अरविंद यादव
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

तेलंगाना से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें