योगी आदित्यनाथ क्या महाकुंभ के दौरान नाविक पिंटू महरा के 30 करोड़ रुपये कमाने का दावा कर फँस गए हैं? यह सवाल दो वजहों से उठता है। एक, पिंटू महरा के कई गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड सामने आए हैं। दूसरा, 45 दिनों में 30 करोड़ की कमाई के दावे भी सवालों के घेरे में हैं। विपक्षी दल इसपर गंभीर सवाल उठा रहे हैं।
दरअसल, प्रयागराज में हाल ही में संपन्न हुए महाकुंभ 2025 ने न केवल धार्मिक और आर्थिक वजहों से सुर्खियां बटोरीं, बल्कि एक नाविक पिंटू महरा की कहानी ने भी सबका ध्यान खींचा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में पिंटू महरा के परिवार की सफलता का जिक्र करते हुए दावा किया था कि इस नाविक ने 45 दिनों में 130 नावों के ज़रिए 30 करोड़ रुपये की कमाई की।
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मुख्यमंत्री योगी ने 4 मार्च 2025 को विधानसभा में यह दावा किया था। उन्होंने कहा था कि प्रयागराज के नैनी के अरैल क्षेत्र का रहने वाले पिंटू महरा के परिवार ने महाकुंभ में 130 नाव चलाकर 30 करोड़ रुपये की कमाई की। उन्होंने इसे महाकुंभ की आर्थिक सफलता और नाविकों के लिए रोजगार के अवसरों की मिसाल बताया। योगी के मुताबिक़, हर नाव ने प्रतिदिन 50-52 हजार रुपये कमाए, जो इस मेले के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की वजह से हो पाया।

कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पिंटू ने खुद बताया कि उसने अपनी माँ और पत्नी के गहने गिरवी रखकर 70 नई नावें खरीदी थीं, इससे उसका बेड़ा 60 से बढ़कर 130 नावों का हो गया। इस जोखिम ने उसे करोड़पति बना दिया। लेकिन अब इस कहानी में एक नया मोड़ आया है। पिंटू महरा का आपराधिक रिकॉर्ड सामने आने के बाद योगी सरकार की किरकिरी हो रही है।

आपराधिक रिकॉर्ड

सीएम योगी के दावों के महज दो दिन बाद ही पिंटू महरा की एक अलग तस्वीर सामने आई। पुलिस सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिंटू महरा नैनी के अरैल का कुख्यात अपराधी है। उस पर हत्या, रंगदारी, जबरन वसूली और अवैध शराब के कारोबार जैसे गंभीर आरोप हैं। एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार नैनी पुलिस थाने के प्रभारी वैभव सिंह ने पुष्टि की कि पिंटू का आपराधिक रिकॉर्ड है और वह दो साल पहले एक मामले में जेल से रिहा हुआ था। हाल ही में तीन हफ़्ते पहले उसे नाविकों से रंगदारी मांगने के लिए नामजद किया गया था। इसके अलावा, एक डबल मर्डर केस में वह 6 महीने तक जेल में रह चुका है। 

पिंटू महरा के आपराधिक रिकॉर्ड के अलावा सोशल मीडिया पर यह भी दावा किया जा रहा है कि उसका परिवार संगम और आसपास के घाटों पर दबंगई के लिए कुख्यात है।

'श्रद्धालुओं से लूट का नतीजा'

इस खुलासे के बाद विपक्ष ने योगी सरकार पर तीखा हमला बोला। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, 'पहले ठग से एमओयू कर लिया, अब नामजद अपराधी की तारीफ कर दी। अब तो आंखें खोलें।' उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस कमाई पर जीएसटी और अन्य कर चुकाए गए, और क्या यह श्रद्धालुओं से लूट का नतीजा नहीं है। 
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने भी योगी सरकार पर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, 'योगी जी, अपने सूचना सलाहकारों को बर्खास्त कीजिए। सोचिए भला, आपसे एक कुख्यात अपराधी का सदन में इतना महिमा मंडन करवा डाला? हद है!'

योगी के लिए मुश्किलें

यह घटनाक्रम योगी सरकार के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गया है। योगी ने पिंटू की कहानी को महाकुंभ की सफलता का प्रतीक बनाया था, लेकिन अब यह उल्टा पड़ता दिख रहा है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार ने पिंटू के आपराधिक इतिहास की जांच नहीं की? या फिर महाकुंभ की उपलब्धियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के चक्कर में यह चूक हुई? विपक्ष का आरोप है कि योगी सरकार में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं, और पिंटू का उदाहरण इसका सबूत है।

आर्थिक दावों पर सवाल

कांग्रेस नेता अजय राय ने भी तंज कसा, 'मुख्यमंत्री ने अपने ही आंकड़ों से कालाबाजारी का सच बयां कर दिया। मेला प्राधिकरण ने नाव का किराया 120-150 रुपये प्रति व्यक्ति तय किया था, तो फिर 50 हजार रुपये प्रतिदिन की कमाई कैसे संभव है?' पिंटू की 30 करोड़ की कमाई पर भी संदेह जताया जा रहा है। मेला प्राधिकरण ने नावों का किराया 75-150 रुपये प्रति व्यक्ति तय किया था, और एक नाव में अधिकतम 8 यात्री बैठ सकते थे। अगर औसतन 100 रुपये प्रति व्यक्ति और 8 यात्रियों की गणना करें, तो एक नाव से अधिकतम 800 रुपये प्रति ट्रिप की कमाई हो सकती थी। 50-52 हजार रुपये प्रतिदिन कमाने के लिए एक नाव को 60-65 ट्रिप रोज करनी पड़ती, जो व्यावहारिक रूप से असंभव लगता है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या यह कमाई वैध थी, या इसमें कालाबाजारी और अनियमितताएं शामिल थीं?
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पिंटू महरा की कहानी अब सफलता से ज्यादा विवाद का विषय बन गई है। योगी सरकार के सामने चुनौती है कि वह इस मामले में अपनी स्थिति कैसे स्पष्ट करती है। अगर पिंटू का आपराधिक रिकॉर्ड सही है, तो यह महाकुंभ की छवि और सरकार की साख पर सवाल उठाता है। दूसरी ओर, अगर यह कमाई वैध और पारदर्शी है, तो सरकार को इसके सबूत पेश करने होंगे। फ़िलहाल, यह मामला उत्तर प्रदेश की सियासत में गरमाहट ला रहा है, और योगी आदित्यनाथ का अगला बयान इसकी दिशा तय करेगा। क्या वे इसे एक गलती मानकर पीछे हटेंगे, या पिंटू की कहानी को नए सिरे से जायज ठहराएंगे?
(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)