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सपा और आरएलडी के बीच सीटों के बंटवारे पर बनी सहमति 

उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल मिलकर लड़ेंगे। दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति बन गई है। सूत्रों की ओर से दावा किया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय लोक दल को 7 सीटें देने को तैयार हो गई है। 
राष्ट्रीय लोक दल या आरएलडी जिन सीटों पर चुनाव लड़ेगी वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटें होंगी। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और आरएलडी नेता जयंत चौधरी के बीच लखनऊ में शुक्रवार को मुलाकात और बातचीत हुई है। 
इसके बाद यह सहमित बनी है। माना जा रहा है कि अगले एक या दो दिनों में दोनों दलों के बीच हुए इस गठबंधन का आधिकारिक तौर पर ऐलान किया जा सकता है। 

इस मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा है कि राष्ट्रीय लोक दल और सपा के गठबंधन की सभी को बधाई! जीत के लिए सभी एकजुट हो जाएं, जुट जाएं!  अखिलेश यादव के इस ट्वीट को रीपोस्ट करते हुए जयंत चौधरी ने कहा है कि राष्ट्रीय और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार हूं।
 हम उम्मीद करते हैं कि हमारे गठबंधन के सभी कार्यकर्ता हमारे क्षेत्र के विकास और समृद्धि के लिए मिलकर आगे बढ़ेंगे। एक्स पर दोनों नेताओं के पोस्ट और रीपोस्ट के बाद स्पष्ट हो गया है कि दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर समझौता हो गया है। 
आरएलडी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मजबूत राजनैतिक ताकत है। उसकी किसानों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में इन दोनों दलों के बीच गठबंधन होने से लोकसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर मिल सकती है।  

प्राप्त सूचना के मुताबिक समाजवादी पार्टी इंडिया गठबंधन की सहयोगी आरएलडी को 7 सीटों की पेशकश की है। आरएलडी 12 सीटें मांग रही थी, वह कैराना, मुज़फ़्फ़रनगर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, मेरठ, बुलन्दशहर, अलीगढ, हाथरस, फ़तेहपुर सीकरी, मथुरा और बागपत सीटों की मांग कर रही थी। 
वहीं बातचीत के बाद वह 7 सीटों पर मान गई है। इनमें से कौन सी 7 सीटें अखिलेश आरएलडी को देंगे यह अभी साफ नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव में आरएलडी 3 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और तीनों ही सीटों पर वह भाजपा से हार गई थी। 
आरएलडी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के पिछले चुनावों में कुल 33 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 2.85 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 8 विधानसभा सीटें जीतने में कामयाब रही थी। खतौली उपचुनाव में एक जीत के साथ आरएलडी के विधायकों की संख्या बाद में 9 हो गई है। 
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कांग्रेस के साथ अब भी फंसा है पेंच 

सपा और आरएलडी दोनों इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। इन दोनों दलों के बीच सीटों को लेकर समझौता हो गया है लेकिन इंडिया गठबंधन के सबसे बड़े दल कांग्रेस के साथ इन दोनों का समझौता अब तक नहीं हुआ है। इसके कारण तरह-तरह की अटकलों का बाजार गर्म है। 
राजैनतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस और सपा में सीटों के बंटवारे को लेकर अब तक सहमति नहीं बन पाने के कारण इन दलों के नेताओं, कार्यकर्ताओं से लेकर इनके समर्थकों तक में कंफ्यूजन बना हुआ है।

अगर समय रहते समझौता हो जाता है तब सपा, कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के यूपी में अन्य सहयोगी दलों के उम्मीदवारों को लोकसभा चुनाव की तैयारी करने का बेहतर समय मिल सकेगा।  
अगर कांग्रेस और सपा में सीटों को लेकर समझौता देर से होता है या फिर कोई समझौता नहीं होता है और सपा और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारते हैं तो इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा। दोनों के बीच समझौता नहीं होने की स्थिति में उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों का वोट बंट सकता है। 
अन्य जातियों का वोट भी बंट सकता है। ऐसे में भाजपा के लिए जीत की राह आसान हो जाएगी। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि इंडिया गठबंधन को बनाने का मकसद ही भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का साझा उम्मीदवार खड़ा करना है। 
अगर यह नहीं हो पाता है तब इंडिया गठबंधन का उत्तर प्रदेश में कोई मतलब नहीं रह जाएगा। बसपा द्वारा अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है। इससे भी भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा होगा। 

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क़मर वहीद नक़वी
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