इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी में जाति आधारित भेदभाव रोकने के लिए निर्देश दिया है कि FIR और सरकारी रिकॉर्ड में जाति का नाम दर्ज न किया जाए। अदालत ने इसको लेकर कड़ी टिप्पणियाँ कीं।
कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों में लोग गाड़ियों, घरों और सोशल मीडिया पर अपनी जाति का खुलकर प्रदर्शन करते हैं। यह गलत है और समाज को बांटता है। खासकर सोशल मीडिया पर युवा जाति को बढ़ावा देने वाली पोस्ट डालते हैं, जो खतरनाक है।