इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा है कि व्हाट्सएप संदेश में मौजूद 'अनकही बातें' भी धार्मिक समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दे सकते हैं, भले ही संदेश में साफ़-साफ़ धर्म का ज़िक्र न हो। यह फैसला पिछले महीने जस्टिस जे.जे. मुनिर और जस्टिस प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सुनाया। इसमें बिजनौर निवासी अफाक अहमद की याचिका को खारिज कर दिया गया। अफाक ने अपने खिलाफ दर्ज एक एफ़आईआर को रद्द करने की मांग की थी, जिसमें उन पर धार्मिक नफरत फैलाने का आरोप लगाया गया था। यह एफ़आईआर उनके एक व्हाट्सएप मैसेज को लेकर लगाया गया था।
व्हाट्सएप मैसेज में 'अनकही बातें' भी बढ़ा सकती हैं धर्मों के बीच दुश्मनी: इलाहाबाद HC
- उत्तर प्रदेश
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- 23 Oct, 2025
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि व्हाट्सएप मैसेज में इस्तेमाल की गई 'अनकही या छिपी बातें' भी धर्मों के बीच दुश्मनी भड़का सकती हैं।

अफाक ने व्हाट्सएप मैसेज में क्या लिखा था, इसे क्यों लिखा था और अदालत ने इस पर क्या फ़ैसला दिया, यह जानने से पहले यह जान लें कि इस मामले में सबसे ताज़ा क्या कार्रवाई की गई है। बिजनौर पुलिस ने रविवार को अफाक के खिलाफ दूसरी प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत आपराधिक धमकी और शांति भंग करने के आरोप शामिल हैं। इसके अलावा, अफाक के भाई और चाचा के खिलाफ भी अलग-अलग प्राथमिकियाँ दर्ज की गई हैं।