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बीएसपी सम्मेलनः  मायावती ने इमरान मसूद को क्यों सौंपे 4 जिले 

बीएसपी प्रमुख मायावती धीरे-धीरे चुनावी रंग में आ रही हैं। शनिवार को लखनऊ में बुलाए गए पार्टी के सम्मेलन में उन्होंने कई राजनीतिक फैसलों का ऐलान किया।  मायावती के निशाने पर कांग्रेस ज्यादा है, बीजेपी कम है। कांग्रेस ने हाल ही में मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है। खड़गे के अध्यक्ष बनते ही मायावती ने कांग्रेस पर हमला बोला। कांग्रेस विपक्ष में है, इसके बावजूद मायावती के निशाने पर कांग्रेस है। बहरहाल, बात मायावती के राजनीतिक फैसलों पर करते हैं। 

BSP conference: Mayawati handed over 4 districts to Imran Masood - Satya Hindi
इमरान मसूद

मायावती ने हाल ही में पश्चिमी यूपी के नेता इमरान मसूद को बीएसपी में शामिल किया है। बीएसपी प्रमुख ने इमरान मसूद को शनिवार को सम्मेलन के दौरान चार जिलों सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली और मेरठ मंडल का बीएसपी प्रभारी नियुक्त किया है। यूपी के ये चारों मंडल मुस्लिम बहुल इलाके हैं। वेस्ट यूपी में आते हैं और मुस्लिम राजनीति का गढ़ हैं। इमरान मसूद कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं। इस परिवार ने कांग्रेस के राज को भोगा है। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले वो कांग्रेस से सीधे सपा में आए थे। सपा को लेकर मुसलमानों में चल रहे मंथन को भांप कर इमरान मसूद ने अब बीएसपी का रुख किया है। राजनीतिक रूप से देखें तो मायावती और इमरान मसूद दोनों ही एक दूसरे की राजनीति के सहारे आगे बढ़ना चाहते हैं। 

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बीएसपी प्रमुख ने शनिवार के सम्मेलन में पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी भीम राजभर को बनाया है। हालांकि इमरान मसूद की तरह भीम राजभर कोई लोकप्रिय चेहरा नहीं हैं लेकिन पूर्वी यूपी में अति पिछड़ों की राजनीति को राजभर और उससे जुड़ी उपजातियां प्रभावित करती हैं। ऐसे में मायावती का यह फैसला भी काफी महत्वपूर्ण है। 

मायावती के शनिवार को लिए गए दोनों फैसलों से साफ है कि वो सारी तैयारी 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कर रही हैं। उनकी नजर मुस्लिम और दलित वोट बैंक पर है। खड़गे की नियुक्ति के बाद उन्होंने कांग्रेस पर इसीलिए हमला बोला था। मुस्लिम वोट बैंक जो परंपरागत रूप से सपा के साथ है, उनमें अब इस पार्टी को लेकर मंथन शुरू हो गया है। आजम खान के साथ हुए सलूक और मुस्लिम मुद्दों पर आंदोलन करने वाली सपा से मुसलमानों का मोह धीरे-धीरे भंग हो रहा है। वे या तो कांग्रेस की तरफ जा सकते हैं या फिर बीएसपी की तरफ भी जा सकती हैं। मायावती इसीलिए सक्रिय हो रही हैं कि वो मुस्लिम वोटों को वापस अपने पाले में ले आए हैं। किसी समय मुस्लिम वोट बीएसपी को ही मिलते थे लेकिन मायावती के बीजेपी से हाथ मिलाने के बाद मुस्लिम वहां से शिफ्ट होकर वापस सपा की तरफ आ गया।

संघ-बीजेपी पर निशाना

मायावती ने शनिवार के सम्मेलन में बीजेपी और आरएसएस पर रणनीतिक निशाना साधा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी जिन मुद्दों को पहले ही उठा चुके हैं, उन्हीं मुद्दों को मायावती ने इस सम्मेलन में उठाया। बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि मोदी सरकार की असफलताओं की तरफ से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए बीजेपी धर्मांतरण और समुदाय विशेष की जनसंख्या के मुद्दे को उठा रही है। देश की मौजूदा स्थिति पर जिस तरह आरएसएस चुप है, वो खतरनाक है। संघ तमाम तरह के मुद्दों पर अपनी राय रखता है या विरोध करता है, लेकिन वो कभी अपनी सरकार की तरफ नहीं देखता और न ही उनके खिलाफ कुछ बोलता है। 

मायावती ने कहा कि अब 2024 के आम चुनाव को प्रभावित करने के लिए बीजेपी और आरएसएस दोनों ही धर्मांतरण और जनसंख्या नीति जैसे मुद्दे उठा रही हैं। महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी संघ और बीजेपी दोनों ही चुप हैं। महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ दी है लेकिन बीजेपी अन्य मुद्दों पर व्यस्त है।

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निकाय चुनाव लड़ेगी बीएसपी

मायावती ने कहा कि बीएसपी यूपी में निकाय चुनाव लड़ेगी। इसी के मद्देनजर उन्होंने सदस्यता अभियान फिलहाल स्थगित करने का निर्देश दिया। लेकिन मायावती ने निकाय चुनाव लड़ने की पूरी रूपरेखा स्पष्ट नहीं की। उनका ध्यान पार्टी को मिलने वाली आर्थिक मदद पर ज्यादा रहा। उन्होंने पार्टी कार्यकार्यताओं और नेताओं से कहा कि 15 जनवरी को उनके जन्मदिन पर कीमती तोहफे की बजाय लोग पार्टी फंड में पैसा दें, ताकि पार्टी का खर्च चलाया जा सके। मायावती ने बहुत लंबे अर्से बाद कार्यकर्ताओं से पार्टी को चलाने के लिए पैसा मांगा है। इससे पहले पार्टी का चंदा अभियान करप्शन का शिकार हो चुका है।

बीएसपी प्रमुख ने पार्टी नेताओं से पार्टी की छोटी-छोटी बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि ये बैठक सर्वसमाज की होना चाहिए। हालांकि उन्होंने अपनी सोशल इंजीनियरिंग का जिक्र नहीं किया लेकिन उनका इशारा उसी तरफ था। इस काम को पहले पार्टी महासचिव सतीश मिश्रा करते थे। लेकिन मायावती ने अब उनको किनारे लगा दिया है और इस काम को वो खुद देख रही हैं। उसी के मद्देनजर उन्होंने पार्टी की बैठकों में हर समाज के लोगों को बुलाने का आग्रह कार्यकर्ताओं से किया।

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क़मर वहीद नक़वी
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