मोदी सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर बैठे किसानों ने बीते 84 दिनों में साफ कर दिया है कि वे ये आंदोलन अपनी मांगों के पूरे हुए बिना ख़त्म नहीं करेंगे। सरकार के साथ किसानों की कई दौर की बैठकें बेनतीजा हो चुकी हैं और 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड और लाल क़िले पर हुई हिंसा के बाद से बातचीत पूरी तरह बंद है। दूसरी ओर, महापंचायतों ने सरकार की नाक में दम कर रखा है।