उत्तर प्रदेश के 'लव जिहाद क़ानून' की कथित अभियुक्त मुरादाबाद की पिंकी की कोख यदि सचमुच सुरक्षित रह पाती है, उसे किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुँचती है तो जन्म लेने के बाद उसका अबोध शिशु अपने और अपनी माँ के ऊपर हुए शारीरिक व मानसिक आघातों का हिसाब-किताब किससे माँगेगा? ‘प्रदेश' के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जो अपनी राजनीतिक हित साधना के चलते उसके माता-पिता जैसी परिपक्व युवा दंपत्तियों को धर्म और जीवन साथी चुनने के उनके मौलिक अधिकार से उन्हें वंचित कर देते हैं? मुरादाबाद पुलिस जैसी सुरक्षा एजेंसियों से, बेशक जिनका गठन संवैधानिक दायित्वों की पूर्ति के उद्देश्य से किया जाता है लेकिन जो अपने राजनीतिक आकाओं की जी हुज़ुरी में बढ़चढ़ कर भाग लेने की स्वार्थवश लालसा में अवैधानिकता की हद तक क्रूर और अमानवीय हो जाती है? या अपने उस अनकहे नानी-नाना से, संतान को संपत्ति मानने की जिसकी सामंती सोच उसे माता-पिता की जगह एक निर्मम संपत्ति मालिक बना डालती है और अपनी बेटी और उसके पति के विरुद्ध शत्रुतापूर्ण तरीक़े से एफ़आईआर करवा के उन्हें गिरफ़्तार करवाने और उनके प्रेम, संवेदना और जीवन साथी बनने की आकांक्षा की हत्या करने पर आमादा हो जाते हैं?