प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय की शतवार्षिकी पर ज़ोर देकर कहा कि कुछ लोग वैचारिक मतभेद के नाम पर ऐसा कुछ कर सकते हैं जो राष्ट्रहित में नहीं है, लेकिन यदि आप अपना पूरा ध्यान राष्ट्र निर्माण में लगाएंगे तो ऐसे लोग अलग-थलग पड़ते जाएंगे और दरकिनार हो जाएंगे। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, पर समझा जाता है कि उनका इशारा एएमयू में समान नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ चले ज़बरदस्त आन्दोलन की ओर था।
याद दिला दें कि दिसंबर 2019 में एएमयू में चले ज़बरदस्त आन्दोलन के दौरान पुलिस ने ज़्यादतियाँ की थी, कई छात्रों को निशाना बनाया गया था, कुछ को बुरी तरह पीटा गया था और कुछ को फ़र्जी मामलों में जेल में डाल दिया गया था। एक साल बाद कुछ छात्र अभी भी इन मामलों में जेल में बंद हैं।
राष्ट्रहित सर्वोपरि
प्रधानमंत्री ने कहा, “'वैचारिक मतभेद तो किसी भी समाज में होते हैं, यहां भी हैं, लेकिन जब देशहित की बात आती है तो सबके विचार देश के विचार से जुड़ जाने चाहिए।” उन्होंने आज़ादी के आन्दोलन का उदाहरण देते हुए कहा, “उस दौरान भी स्वतंत्रता सेनानियों में कई मुद्दों पर मतभेद थे, पर सबका एक ही लक्ष्य था और वह था देश की आज़ादी।”
नरेंद्र मोदी के इस भाषण से यह साफ हो गया कि वे यह संकेत देना चाहते हैं कि राष्ट्र निर्माण में एएमयू अपनी भूमिका ठीक से निभाए, यानी वह अपने आपको सुधारे।
भेदभाव नहीं
लेकिन प्रधानमंत्री ने यह संकेत भी दिया कि उनकी सरकार धर्म के नाम पर किसी तरह का भेदभाव नहीं करेगी और किसी की उपेक्षा नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा, "देश जिस रास्ते चल रहा है, उस पर किसी नागरिक को धर्म की वजह से पीछे नहीं छोड़ दिया जाएगा और सबको समान मौका मिलेगा ताकि सारे लोग अपने सपने पूरे कर सकें। इसके पीछे सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास का मंत्र है।"
प्रधानमंत्री ने एएमयू की तारीफ करते हुए कहा कि इसने बीते सौ साल में लाखों लोगों के जीवन को संवारा है, उन्हें आधुनिक और वैज्ञानिक सोच दी है और उन्हें समाज व देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित किया है।
प्रधानमंत्री का भाषण ऑनलाइन प्रसारित किया गया। इस वर्चुअल कार्यक्रम में उन्होंने अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय के सौ साल पूरे होने पर डाक टिकट जारी किया। इस मौके पर शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल और एएमयू के कुलपति सैयदना मुफ़्फ़दल सैफ़ुद्दीन भी मौजूद थे।
बीजेपी के निशाने पर रहा है एएमयू
प्रधानमंत्री का एएमयू की तारीफ करना बेहद अहम माना जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं ने कई बार एएमयू पर निशाना साधा है और उसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से राष्ट्रविरोधियों का अड्डा बताया है। उग्र हिन्दूत्व से जुड़े हिन्दू युवा वाहिनी के सदस्यों ने मई 2018 को मांग की थी कि पुस्तकालय में लगी मुहम्मद जिन्ना की तसवीर हटा दी जाए। वाहनी के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया, छात्र यूनियन से भिड़ गए और इस मारपीट में कुछ लोग घायल भी हुए थे।इसके बाद इसी साल हद तो तब हो गई जब बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि मौजूदा छात्र संघ ने जिन्ना की तसवीर लगाई है, जबकि जिन्ना की तसवीर 1938 में लगी थी क्योंकि वे छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष थे।
इसी तरह केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान कहा था कि मधुबनी के जाले से कांग्रेस प्रत्यासी मशकूर अहमद उस्मानी जिन्ना के समर्थक हैं और उन्होंने देश के बंटवारा के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति की तसवीर एएमयू परिसर में लगवाई है।
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