loader

यूपी : आधे से अधिक बीजेपी विधायकों के दो से ज़्यादा बच्चे!

उत्तर प्रदेश विधानसभा के बीजेपी सदस्यों में से आधे से अधिक ऐसे हैं, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं।

यह स्थिति उस बीजेपी की है, जिसने उत्तर प्रदेश, असम और कर्नाटक में दो से अधिक बच्चों वालों को कई तरह की सरकारी स्कीमों और सुविधाओं से वंचित रखने और उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की योजना बनाई है। 

उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण विधेयक मसौदा तैयार कर लिया है। इतना ही नहीं, कुछ बीजेपी सदस्य संसद के मानसून सत्र में जनसंख्या नियंत्रण से जुड़े निजी विधेयक पेश करने की योजना बना रहे हैं। 

ख़ास ख़बरें

यूपी बीजेपी विधेयकों के कितने बच्चे?

दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश विधानसभा की आधिकारिक वेबसाइट के अध्ययन करने और उसके आँकड़ों को खंगालने से बीजेपी के दोहरे मानदंडों की पोल खुलती है। 

उत्तर प्रदेश विधानसभा की वेबसाइट से पता चलता है कि इसके बीजेपी सदस्यों में से आधे से अधिक के दो से अधिक बच्चे हैं। 

उत्तर प्रदेश सरकार के 23 में से 10 कैबिनेट मंत्रियों के दो से अधिक बच्चे हैं। उत्तर प्रदेश के 27 प्रतिशत विधायकों के तीन और 32 प्रतिशत विधायकों के दो बच्चे हैं। सिर्फ 9 प्रतिशत विधायकों के एक बच्चे हैं।

क्या है ज़मीनी हालत?

उत्तर प्रदेश विधानसभा की वेबसाइट पर 403 सदस्यों में 396 के बारे में जानकारियाँ दी गई हैं। सदन के 52 प्रतिशत सदस्यों के दो या उससे अधिक बच्चे हैं। 

'द स्क्रॉल' के अनुसार, यही हाल दूसरे दलों का भी है। समाजवादी पार्टी के 49 विधेयकों में से 55 प्रतिशत के दो से ज़्यादा बच्चे हैं। 

इतना ही नहीं, कुछ सदस्यों के चार या उससे अधिक बच्चे हैं। 

population control bill amid UP BJP members with more children - Satya Hindi
  • बीजेपी के तिलहर विधायक रोशन लाल वर्मा और दुधनी से अपना दल विधायक हरि राम आठ बच्चों के पिता हैं।
  • बीजेपी विधायक माधुरी वर्मा और समाजवादी पार्टी के रफ़ीक अंसारी के सात-सात बच्चे हैं।
  • बीजेपी के आठ विधायकों के छह-छह बच्चे हैं। इनमें उत्पाद कर मंत्री राम नरेश अग्निहोत्री भी शामिल हैं।
  • समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और निषाद पार्टी के एक-एक विधेयक के छह-छह बच्चे हैं। 

बीजेपी के एक विधेयक के आठ, एक के सात और आठ विधायकों के छह-छह बच्चे हैं।

सरकार का लक्ष्य

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी विधायक सुरेश खन्ना कुँवारे हैं। 

दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश सरकार ने जिस जनसंख्या नीति का एलान किया है, उसके तहत कुल जनसंख्या वृद्धि दर यानी टोटल फ़र्टिलिटी रेट को 2.7 प्रतिशत से कम कर 1.7 प्रतिशत पर लाने की योजना है। सरकार को यह लक्ष्य 2030 तक हासिल कर लेना है। 

population control bill amid UP BJP members with more children - Satya Hindi

दो बच्चा नीति

सरकार के जनसंख्या नियंत्रण विधेयक मसौदे में कहा गया है कि जिन लोगों के दो से अधिक बच्चे होंगे, उन्हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का फ़ायदा नहीं मिलेगा।

  • राशन कार्ड पर एक परिवार के अधिकतम चार लोगों के ही नाम होंगे।
  • दो से अधिक बच्चे जिनके होंगे, वे स्थानीय चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
  • ऐसे लोग सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे, उन्हें प्रमोशन नहीं मिलेगा और वे राज्य सरकार की सब्सिडी के हक़दार नहीं होंगे। 

रियायत

मसौदे में यह भी कहा गया है कि दो बच्चे नीति का पालन करने वालों को कई तरह की रियायतें दी जाएंगी।

  • सरकारी नौकरी कर रहे दो बच्चे वाले लोग यदि स्वेच्छा से नसबंदी कराएंगे तो उन्हें दो प्रमोशन मिल जाएंगे और घर खरीदने या ज़मीन का प्लॉट खरीदने पर सब्सिडी मिलेगी।
  • दो बच्चा नीति मानने वाले लोगों को आवासीय ऋण, बिजली-पानी में रियायत और पैटरनिटी-मैटरनिटी लीव में विशेष सुविधा मिलेगी।
  • यदि ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्ति को एक ही बच्चा हो और वह बेटी हो तो एक लाख रुपए और बेटा होने पर 80 हज़ार रुपए की रक़म मिलेगी। 

विहिप का विरोध

उत्तर प्रदेश सरकार के जनसंख्या नियंत्रण विधेयक मसौदे का विरोध सत्तारूढ़ दल बीजेपी की सहयोगी संस्था विश्व हिन्दू परिषद भी कर रही है।

विहिप ने एक बयान जारी कर कहा है कि हालांकि वह जनसंख्या स्थिर करने की सरकार की कोशिशों से सहमत है, पर एक ही बच्चे वाले परिवार को रियायत देने का फ़ैसला इस मक़सद से आगे के नतीजे दे सकता है। 

विहिप उस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से ही जुड़ा है, जिसे बीजेपी की मातृ संस्था माना जाता है। यानी बीजेपी, आरएसस और विहिप की काफी नीतियाँ एक जैसी हैं।

population control bill amid UP BJP members with more children - Satya Hindi

इससे पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी इस बात का एलान किया था कि उनकी सरकार दो बच्चों वाला क़ानून लेकर आएगी।

सरमा ने कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण क़ानून का नियम चाय बागान के कर्मचारियों और एससी-एसटी समुदाय के लोगों पर लागू नहीं होगा। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें