कहते हैं कि जब 'दुश्मन' भी क़रीब आने लगें तो समझ लेना चाहिए कि हवा का रुख बदला हुआ है! तो उत्तर प्रदेश में अगले कुछ महीनों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के क़रीब आने के क्या मायने हैं? क्या शिवपाल यादव को भी चुनावी नतीजों का आभास होने लगा है या फिर अपने भतीजे के लिए फिर से 'प्यार' उमड़ आया है? 2017 के चुनावों से पहले तो दोनों के बीच तलवारें तनी थीं!