रामपुर विधानसभा सीट से आज़म खान 10 बार विधायक रह चुके हैं। इस सीट पर सपा की जीत का पूरा दारोमदार सिर्फ आज़म खान पर ही है। बीजेपी की जीत के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी सहित कई बड़े नेता जोर लगा रहे हैं।
रामपुर विधानसभा सीट को उत्तर प्रदेश में मोहम्मद आज़म खान के सियासी कद की वजह से जाना जाता है। आज़म खान 10 बार इस सीट से विधायक रह चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि पिछले 45 साल में यह पहला मौका है जब आज़म खान या उनके परिवार का कोई सदस्य इस सीट से चुनाव मैदान में नहीं उतरा है। 1977 से आज़म खान और उनके परिवार के सदस्य यहां से चुनाव लड़ते रहे हैं।
समाजवादी पार्टी ने यहां से आसिम राजा को उम्मीदवार बनाया है। आसिम राजा को रामपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में भी उम्मीदवार बनाया गया था लेकिन तब उन्हें बीजेपी प्रत्याशी घनश्याम सिंह लोधी के हाथों हार मिली थी।
बताना होगा कि हेट स्पीच के मामले में आज़म खान की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी और सीट खाली होने की वजह से यहां उपचुनाव कराना पड़ा है।
रामपुर सीट पर सपा प्रत्याशी आसिम राजा और बीजेपी प्रत्याशी आकाश सक्सेना के बीच सीधा मुकाबला है। कांग्रेस और बीएसपी ने इस उपचुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। उत्तर प्रदेश में इसके साथ ही मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खतौली विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव हो रहा है। इन सभी सीटों पर 5 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे।
जीतते रहे आज़म खान
आज़म खान इस सीट से 1977 में चुनाव हारे थे। लेकिन 1980 से 1993 के बीच लगातार पांच बार विधानसभा का चुनाव जीते थे। 1996 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस के अफरोज़ अली खान से हार मिली थी। इसके बाद आज़म खान को राज्यसभा भेजा गया था। लेकिन साल 2002 से 2022 तक हुए विधानसभा चुनाव में (2019 को छोड़कर) आज़म खान को लगातार जीत मिलती रही थी। 2019 में आज़म खान के लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद उनकी पत्नी तंजीन फातिमा यहां से विधायक चुनी गई थीं। 2022 का विधानसभा चुनाव आज़म खान ने जेल में रहते हुए ही जीता था।
आज़म खान के बेटे अब्दुल्ला आज़म इसी जिले की स्वार टांडा सीट से विधायक हैं। आज़म की पत्नी तंजीन फातिमा भी रामपुर सीट से सपा के टिकट पर विधायक रह चुकी हैं। रामपुर सीट पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं।
बीजेपी प्रत्याशी आकाश सक्सेना।
पसमांदा मुसलमानों पर नजर
इस साल फरवरी-मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में आकाश सक्सेना को आज़म खान के हाथों हार मिली थी। मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता वाली इस सीट पर बीजेपी पसमांदा मुसलमानों के वोटों में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। बीते दिनों बीजेपी ने पसमांदा मुस्लिम समाज के लोगों से जुड़े सम्मेलन रामपुर के साथ ही उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर किए हैं। बीजेपी को उम्मीद है कि रामपुर और आज़मगढ़ लोकसभा के उपचुनाव में जिस तरह उसने जीत हासिल की है, उसी तरह रामपुर विधानसभा सीट पर भी वह जीत का परचम लहरा सकती है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और रामपुर सीट से सांसद रहे मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि इस बार रामपुर में कमल जरूर खिलेगा। योगी सरकार में मंत्री दानिश अंसारी भी यहां बीजेपी के लिए मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन जुटाने का काम कर रहे हैं।
जबकि सपा का पूरा दारोमदार सिर्फ आज़म खान पर ही है।
निश्चित रूप से रामपुर विधानसभा का उपचुनाव इस बार बीजेपी और सपा के बीच जबरदस्त चुनावी जंग का मैदान बन चुका है। इस सीट पर कुल 3,88,994 मतदाता हैं। इसमें से लगभग 50 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं।