यूपी के कौशांबी में मोहम्मद गुफरान नामक युवक का आज एनकाउंटर किया गया।
समुदाय विशेष के एनकाउंटर का आरोपः अखिलेश के बयान के बावजूद यूपी में एनकाउंटरों का सिलसिला जारी है। 2020 में यूपी पुलिस ने बयान देकर स्वीकार किया था कि जिन कथित अपराधियों को उसने एनकाउंटर में मार गिराया, उसमें 37 फीसदी मुसलमान थे। यूपी पुलिस की सफाई दरअसल कानपुर के विकास दूबे एनकाउंटर के बाद आई थी। विकास दूबे एनकाउंटर के बाद बीजेपी के ब्राह्मण नेता नाराज हो गए थे और उन्होंने कथित तौर पर आरोप लगाया था कि योगी आदित्यनाथ की पुलिस सिर्फ ब्राह्मणों का एनकाउंटर कर रही है। उस समय स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का नाम ठाकुर टास्क फोर्स लिया जाने लगा था। सुल्तानपुर में लंभुआ के बीजेपी विधायक देवमणि द्विवेदी ने उस समय धमकी दी थी कि वो ब्राह्मणों को एनकाउंटर में मारे जाने का मामला विधानसभा में उठाएंगे। उसके बाद योगी सरकार की पुलिस ने आंकड़े जारी किए थे, जिसमें सबसे ज्यादा मुस्लिम लोगों को बतौर अपराधी मारे जाने की बात कही गई थी।
आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 में, योगी आदित्यनाथ सरकार के पहले वर्ष के दौरान, 45 लोग पुलिस मुठभेड़ों में मारे गए, जिनमें से 16 मुस्लिम थे। इनमें से ज्यादातर एनकाउंटर पश्चिमी यूपी के शामली, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जिलों में हुए। इन आंकड़ों के सामने आने के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था - योगी आदित्यनाथ के शासन में मुसलमानों को गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। ओवैसी ने इस बयान को हाल ही में भी दोहराया था।