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विक्रम सैनी, सरपंच से विधायक बना था। मुजफ्फरनगर दंगे में मुजरिम ठहराया गया।

'दंगाई' बीजेपी विधायक की विधायकी जाने पर राजनीति 

खतौली के बीजेपी विधायक विक्रम सैनी की विधानसभा से अयोग्यता पर मामला अभी साफ नहीं हुआ है। विक्रम सैनी का कहना है कि उन्हें सोशल मीडिया और वाट्सऐप के जरिए विधायकी जाने की सूचना मिली है। लेकिन विधानसभा स्पीकर से कोई सूचना नहीं मिली है। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार को कहा कि सैनी की सदस्यता समाप्त होने की कार्रवाई नियमानुसार होगी। विधानसभा स्पीकर सतीश महाना का कहना है कि उन्होंने इस मुद्दे पर लीगल राय मांगी है। जबकि यूपी सरकार के मंत्री सुरेश खन्ना का कहना है कि मुजफ्फरनगर के दंगों में सजा होने के बाद विक्रम सैनी की सदस्यता अपने आप खत्म हो गई है। सपा नेता आजम खान की विधानसभा सदस्यता खत्म किए जाने के बाद आरएलडी चीफ जयंत चौधरी और केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार को खुलकर बयानबाजी की। विक्रम सैनी को अदालत ने 11 अक्टूबर को दंगाई घोषित करते हुए दो साल की सजा सुनाई थी।

इस मामले में सबसे ताजा स्थिति यह है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के एक मामले में दो साल की सजा काट रहे खतौली से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी को अयोग्य घोषित करने के मुद्दे पर कानूनी राय मांगी है।

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सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि हां, हमने खतौली से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी की अयोग्यता की घोषणा के मुद्दे पर कानून विभाग और महाधिवक्ता (एजी) की राय मांगी है। हमें अदालत के आदेश की कॉपी मिली है और सैनी की सजा केवल दो साल के लिए है। हमने कानूनी राय लेने का फैसला किया है कि क्या दो साल की सजा वाले विधायक को अयोग्य करार दिया जा सकता है।
हालांकि कानूनी विशेषज्ञ और राज्यपाल के पूर्व सलाहकार सीबी पांडे ने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा कि यह कदम मामले को लटकाने के लिए उठाया गया है। यह "देरी की रणनीति" है।

अगर किसी विधायक को दो साल या उससे अधिक के लिए दोषी ठहराया गया है, तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (3) के तहत अयोग्यता का स्पष्ट प्रावधान है। इस मुद्दे पर कानूनी राय लेने का कोई मतलब नहीं है। इस तरह के कदमों को केवल देरी की रणनीति कहा जा सकता है।


सी.बी. पांडे, कानूनी जानकार, लखनऊ

सीबी पांडे ने अधिनियम की धारा 8 (3) को पढ़ते हुए कोट किया- किसी भी अपराध के लिए दोषी व्यक्ति और कम से कम दो साल के जेल की सजा सुनाई गई - उप-धारा (1) या उप-धारा (2) में संदर्भित किसी भी अपराध के अलावा। - ऐसी दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा और वो छह साल के लिए अयोग्य बना रहेगा। 
बहरहाल, वित्त और संसदीय मामलों के मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि प्रावधानों के अनुसार, खतौली के बीजेपी विधायक विक्रम सैनी को दो साल के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद वो अपने आप अयोग्य घोषित हो गए हैं। खन्ना ने लखनऊ में मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, विक्रम सैनी दो साल की सजा के बाद खुद ही अयोग्य हो गए हैं।
उधर, राज्य विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख और सांसद जयंत चौधरी को एक पत्र भेजकर अपनी बात रखी कि वह अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए विधायकों की अयोग्यता के लिए सक्षम अथॉरिटी नहीं हैं। महाना ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट के 10 जुलाई 2013 के फैसला का जिक्र किया और कहा कि एक दोषी सदस्य अपने आप अयोग्य हो जाएगा। महाना ने भारत के चुनाव आयोग के निर्देशों का भी हवाला दिया कि एक दोषी सदस्य अपने आप अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और राज्य विधानसभा सचिवालय सजा के बारे में अदालत का आदेश प्राप्त होने के बाद विधायक की रिक्ति की घोषणा करेगा।
पत्र में महाना ने कहा कि उन्होंने विधानसभा सचिवालय को इस मामले में उचित कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है और बेहतर होता कि जयंत चौधरी को उनका (महाना का) ध्यान आकर्षित करने से पहले सही स्थिति का पता होता।

आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने 29 अक्टूबर को महाना को लिखे अपने पत्र में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक मोहम्मद आजम खान की अयोग्यता में राज्य विधानसभा की फौरी कार्रवाई पर सवाल उठाया था। चौधरी ने अपने पत्र में कहा था, आशा है, आप मेरे पत्र पर ध्यान देंगे और विक्रम सैनी के खिलाफ इस तरह से कार्रवाई करेंगे जो न्याय की स्वस्थ परंपराओं को कायम रखे।
जयंत चौधरी ने शनिवार को किए गए ट्वीट में कहा- विक्रम सैनी की सदस्यता समाप्त हो चुकी है! दुर्भाग्य है भाजपा विधायक - विक्रम सैनी के संदर्भ में 1 महीने बाद भी MP MLA कोर्ट के निर्णय की प्रति सचिवालय को प्राप्त नहीं हुई! इसलिए उनके स्थान को रिक्त घोषित नहीं कर पाए…। लेकिन केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर कहा कि इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई होगी।

जयंत चौधरी का मुद्दा क्या है

दरअसल, जयंत चौधरी कह रहे हैं कि जय विक्रम सैनी की सदस्यता अपने आप अयोग्य घोषित हो गई तो खतौली सीट को रिक्त क्यों नहीं घोषित किया गया। जबकि रामपुर सीट को जल्दी से रिक्त घोषित कर दिया गया। चुनाव आयोग ने शनिवार को ही रामपुर सीट से उपचुनाव की घोषणा की अधिसूचना भी जारी कर दी। यूपी में मैनपुरी और रामपुर सीट पर उपचुनाव 5 दिसंबर को होंगे। लेकिन उसमें खतौली सीट का जिक्र नहीं है। क्योंकि विधानसभा स्पीकर ने खतौली को खाली सीट घोषित नहीं किया। जबकि विक्रम सैनी को सजा बहुत पहले सुनाई जा चुकी है। 
विधानसभा सचिवालय अदालत के आदेश की कॉपी नहीं मिलने का हवाला दे रहा है। विक्रम सैनी को दो साल की सजा 11 अक्टूबर को सुनाई गई थी। आजम खान को जब तीन साल की सजा सुनाई गई थी तो विधानसभा सचिवालय ने 24 घंटे के अंदर ही रामपुर सीट को खाली घोषित कर दिया था। जबकि उस समय कोर्ट के फैसले की प्रति उनके वकील को भी नहीं मिली थी।
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कौन है विक्रम सैनी

यह शख्स जानसठ तहसील में एक गांव का प्रधान था। 2013 में मुज्जफरनगर के कवाल गांव में भयानक हिन्दू-मुसलमान दंगे हुए थे। उस समय प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। दंगाइयों में विक्रम सैनी का नाम आया था। उसके खिलाफ करीब एक दर्जन एफआईआर मुजफ्फरनगर जिले में दर्ज की गई थी। तत्कालीन सपा सरकार ने सरपंच विक्रम सैनी को गिरफ्तार कर लिया। जेल जाने के बाद बीजेपी ने उसे सम्मानित करते हुए खतौली से टिकट दे दिया। वो बीजेपी विधायक बन गया। विक्रम सैनी दो बार विधायक रहा। दूसरी बार नामांकन भरने के समय उसने जो जानकारी अपनी संपत्ति के बारे में दी थी, उसने दो करोड़ की संपत्ति बताई थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि कैसे साधारण सरपंच से विक्रम सैनी के बीजेपी विधायक बनते ही उसकी हैसियत और संपत्ति बढ़ी।
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क़मर वहीद नक़वी
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